बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य संभालने वाला ऐप Instagram
स्वास्थ्य

बेंगलुरु के युवा ने छोड़ी नेटफ्लिक्स और मेटा की नौकरी, बनाया बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य संभालने वाला ऐप

आज पूरी हेल्थ इंडस्ट्री युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है। एक स्टार्टअप ने इस कमी को पूरा करने के के लिए कई कदम उठाए है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

बेंगलुरु (Bengaluru) के रहने वाले नवनीत रामप्रसाद (Navneet Ramprasad) पहले नेटफ्लिक्स (Netflix) और मेटा (Meta) जैसी बड़ी ग्लोबल कंपनियों में काम करते थे। लेकिन उन्होंने सब कुछ छोड़कर भारत (India) वापस आने का फ़ैसला किया। इसकी वजह बहुत निजी थी, उन्हें एहसास हुआ कि उनके माता-पिता और उनके जैसे करोड़ों बुज़ुर्गों के पास कोई व्यवस्थित हेल्थ सिस्टम (Health System) मौजूद नहीं है। बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य अक्सर परिवार पर ही छोड़ दिया जाता है। यही सोच उन्हें एक नया रास्ता दिखाने लगी और उन्होंने बुज़ुर्गों के लिए एक खास हेल्थ ऐप बनाया।

क्यों नज़रअंदाज़ होता है बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य?

अगर हम हेल्थकेयर की दुनिया को देखें, तो ज़्यादातर ध्यान युवाओं पर रहता है। फ़िटनेस ऐप्स (Fitness Apps), जिम (Gym), डाइट प्लान (Diet plan), मानसिक तनाव (Mental Stress) कम करने वाले प्रोग्राम, सब कुछ युवाओं और कामकाजी लोगों को ध्यान में रखकर बनाए जाते है।

लेकिन जब बात बुज़ुर्गों की आती है, तो उनकी ज़रूरतें अक्सर पीछे रह जाती हैं। उम्र बढ़ने के साथ डायबिटीज़ (Diabetes), हाई ब्लड प्रेशर (High BP), आर्थराइटिस, हार्ट की दिक्कतें और याददाश्त से जुड़ी समस्याएँ बढ़ने लगती हैं। इन बीमारियों पर तभी ध्यान दिया जाता है जब हालात बहुत बिगड़ जाते हैं। नियमित जांच, रोकथाम और लगातार देखभाल की व्यवस्था बहुत कम है। 

भारत में 60 साल से ऊपर के बुज़ुर्गों की संख्या 14 करोड़ से ज़्यादा है, लेकिन उनके लिए बने हेल्थ प्रोग्राम्स और सर्विसेज़ गिने-चुने हैं। यही सबसे बड़ी कमी है, जिसे अब पूरा करने की ज़रूरत है।

अगर हम हेल्थकेयर की दुनिया को देखें, तो ज़्यादातर ध्यान युवाओं पर रहता है।

नवनीत का ऐप कैसे करेगा मदद?

नवनीत रामप्रसाद का बनाया गया ऐप बुज़ुर्गों के स्वास्थ्य को केंद्र में रखता है। इसमें कई तरह की सुविधाएँ हैं जो उनकी रोज़मर्रा की स्वास्थ से जुड़ी समस्याओ को आसानी से हल करने में मदद करती हैं।

इस ऐप में बुज़ुर्गों के लिए क्रॉनिक बीमारियों की देखभाल जैसे डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर का नियमित ध्यान रखा जाता है। सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए भी ख़ास प्लान्स हैं, ताकि अस्पताल से घर आने के बाद भी बुज़ुर्ग सही निगरानी में रहें। इसके अलावा 24 घंटे हेल्थ सपोर्ट की सुविधा है, जिससे डॉक्टर और नर्स तुरंत उपलब्ध हो सकें।

सबसे खास बात यह है कि बुज़ुर्गों को घर पर ही मेडिकल सेवाएँ (Medical Services) मिलती हैं, जिससे उन्हें बार-बार अस्पताल जाने की परेशानी नहीं उठानी पड़ती। ऐप मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देता है ताकि बुज़ुर्ग अकेलापन महसूस न करें और उनकी ज़िंदगी संतुलित बनी रहे। यह ऐप पहले ही हज़ार से ज़्यादा बुज़ुर्गों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव ला चुका है।

क्यों है यह बदलाव ज़रूरी?

यह ऐप सिर्फ एक और हेल्थ स्टार्टअप (Start Up) नहीं है, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत है। आज जब पूरा स्वास्थ्य क्षेत्र युवाओं पर केंद्रित है, तब बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य भी उतना ही अहम है।

नवनीत की पहल साबित करती है कि असली इनोवेशन वहीं होता है जहाँ समाज की अनदेखी ज़रूरतों और समस्याओ को पहचाना और उन पर काम किया जाए। बुज़ुर्गों ने अपना पूरा जीवन परिवार और समाज के लिए दिया है, इसलिए उनका स्वास्थ्य और सम्मान भी हमारे लिए उतना ही मायने रखता चाहिए।

निष्कर्ष

आने वाले वर्षों में बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा। ऐसे में नवनीत रामप्रसाद जैसे प्रयास न सिर्फ एक समाधान देते हैं बल्कि यह भी दिखाते हैं कि तकनीक और करुणा मिलकर बुज़ुर्गों की ज़िंदगी को आसान बना सकती है। अगर हेल्थ सेक्टर युवाओं के साथ बुज़ुर्गों पर भी ध्यान दे, तो समाज का हर हिस्सा स्वस्थ और सुरक्षित रह सकेगा।

(Rh/BA)

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