मलेरिया विभाग की अधिकारी श्रुति कीर्ति वर्मा (Officer Shruti Kirti Verma) ने जानकारी दी कि 30 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच इन नए मामलों की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही, अब तक जिले में डेंगू के कुल मामलों की संख्या 419 तक पहुंच गई है। यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों की टीम लगातार निगरानी कर रही है। जिन क्षेत्रों में मरीजों की पहचान हो रही है, वहां विशेष रूप से फॉगिंग और एंटी-लार्वा स्प्रे (Anti-Larvae Spray) कराया जा रहा है। इतना ही नहीं, कई मामलों में मरीजों के दफ्तरों से भी संपर्क साधा गया है और वहां भी मच्छरों को खत्म करने के लिए छिड़काव किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों और आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर साफ पानी में पनपता है। लोगों को पानी की टंकियों और कूलरों को नियमित रूप से साफ करने, पुराने बर्तनों, टायरों और गमलों में पानी जमा न होने देने की सलाह दी गई है।
डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू से बचाव के लिए समय पर जांच कराना सबसे जरूरी है। साथ ही, किसी भी प्रकार के बुखार को हल्के में न लिया जाए। डेंगू के शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, लाल चकत्ते और कमजोरी शामिल हैं।
वहीं, स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने दावा किया है कि मरीजों को उचित इलाज और निगरानी दी जा रही है। जिले के सभी अस्पतालों को सतर्क कर दिया गया है और डेंगू जांच एवं उपचार की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है कि डेंगू के मामलों में तेजी से रोकथाम की जा सके। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक लोग स्वयं सतर्क नहीं होंगे, तब तक बीमारी पर पूर्ण नियंत्रण पाना मुश्किल होगा।
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