ऐसे में बच्चों के शरीर में कई तरह के विकार होने की संभावना बनी रहती है। दूध में प्रोटीन, भरपूर मात्रा में कैल्शियम और बी12 पाया जाता है। अगर बच्चे दूध नहीं पीते हैं, तो उन्हें हड्डियों से जुड़ी समस्या, कुछ स्किन संबंधी समस्या, मांसपेशियों में कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता का क्षीण होना और पेट संबंधी विकार हो सकते हैं।
ऐसे में बच्चों को दूध की बजाय दूसरी चीजों के जरिए कैल्शियम और प्रोटीन (Calcium and Protein) की पूर्ति की जा सकती है। दाल हमारे भोजन का मुख्य स्रोत है, और दालों में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है, ऐसे में दूध के बदले बच्चों को दालों से बनी चीजें खिला सकते हैं। इसके लिए मुख्यत: हरी मूंग दाल, मसूर दाल, और काले और सफेद चने का इस्तेमाल कर सकते हैं। साबुत दालों को अंकुरित कर चाट के रूप में बच्चों को दिया जा सकता है, या दाल और चने के कबाब भी बनाए जा सकते हैं।
सूखे मेवे भी प्रोटीन और कैल्शियम का खजाना होते हैं। बादाम, अखरोट, चिया सीड्स और खरबूज के बीज में मिनरल्स और ओमेगा-3 होता है। अखरोट में सबसे ज्यादा ओमेगा-3 होता है, जो मांसपेशियों के विकास और दिमाग के विकास के लिए अच्छा होता है।
दूध से बने पदार्थ भी प्रोटीन और कैल्शियम की पूर्ति को पूरा करते हैं। दूध की बजाय पनीर, छेना, और दही का सेवन किया जा सकता है। बच्चों के लिए दही और सब्जियों के साथ रायता और पनीर के पराठे भी बनाए जा सकते हैं। कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की मदद से भी दूध की कमी को पूरा किया जा सकता है। अश्वगंधा चूर्ण, बाला और शतावरी जैसी जड़ी-बूटियां वैसा ही कार्य करती हैं, जैसा दूध करता है। इनमें मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने की ताकत होती है।
इसके अलावा, मांसाहार पसंद करने वाले अंडे और मछली से भी इसकी पूर्ति कर सकते हैं। चिकन और मटन में भी भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है, लेकिन बच्चों को ऐसे आहार कम मात्रा में दें क्योंकि उनका पाचन तंत्र धीमी गति से काम करता है।
[SS]