Lyme disease : लाइम रोग एक प्रकार का संक्रमण है, जो बोरेलिया बैक्टीरिया वाले टिक के काटने से फैलता है। (Wikimedia Commons) 
स्वास्थ्य

टिक के काटने से हो सकती है लाइम डिजीज , जानें क्या है लक्षण ?

लाइम रोग एक प्रकार का संक्रमण है, जो बोरेलिया बैक्टीरिया वाले टिक के काटने से फैलता है। दरहसल यह टिक हरी घास अथवा नमी युक्त प्राकृतिक माहौल में पाए जाते है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Lyme disease : यह संक्रमण शुरुआत में भले ही मच्छर के काटने जैसा लगे, परंतु ध्यान न दिया जाए तो ये आपके टिशूज को खराब कर सकती है।‘लाइम डिजीज’ नामक संक्रमण के केस भारत में भी मिलने की बात सामने आई थी। लाइम रोग एक प्रकार का संक्रमण है, जो बोरेलिया बैक्टीरिया वाले टिक के काटने से फैलता है। दरहसल यह टिक हरी घास अथवा नमी युक्त प्राकृतिक माहौल में पाए जाते है।

यह संक्रमण कोरोना के जैसे किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नही फैलता लेकिन फिर भी समय रहते सावधानी न बरती जाए तो बाद में जाकर परेशानी उठाना पड़ सकता है। इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति पर समय से ध्यान न दिया जाए, तो यह शरीर के अन्य हिस्सों को तेजी से प्रभावित करने लगता है। घास और जंगली इलाकों में पाए जानें वाले टिक्स के संपर्क में आने से यह बीमारी फैलती है।

क्या है शुरूआती लक्षण ?

टिक्स के काटने पर शुरूआत में काटने वाले स्थान पर गांठ बन जाती है। लेकिन जब इस गांठ पर खुजली होने लगती है, तब इस बीमारी की शुरुआत होती है। आपको बता दें कि शोध के मुताबिक लाइम रोग की मुख्य तौर पर तीन स्टेजेस होती हैं। जैसे- जैसे स्टेज बढ़ेगा तो इसके घातक होने की संभावना भी अधिक हो जाती है। पहली स्टेज में मरीज को बुखार, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में अकड़न और लिम्फ नोड्स में सूजन के साथ दाने निकल सकते हैं।

इसकी दूसरे स्टेज में आकर ये समस्याएं बढ़ने लगती है। जिसमें हमेशा गर्दन में दर्द, शरीर के अन्य हिस्सों में चकत्ते, दिल की धड़कन अनियमित हो जाना या कम दिखना जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं तथा तीसरी स्टेज टिक काटने के 2 से 12 महीने बाद शुरू होती है। इस स्टेज में मरीज को सूजन के साथ हाथ के पीछे और पैरों के ऊपर की त्वचा का रंग फीका पड़ने लगता है। इससे त्वचा के टिशुज और जॉइंट्स भी खराब हो सकते हैं।

यह टिक हरी घास अथवा नमी युक्त प्राकृतिक माहौल में पाए जाते है। (Wikimedia Commons)

क्या है इसका इलाज?

लाइम बीमारी से पीड़ित मरीज को एंटीबायोटिक्स दवाएं खाने और लगाने की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर किसी मरीज को अन्य लक्षणों के साथ बहुत ज्यादा चकत्ते भी हो रहे हैं या लगातार बुखार और शरीर में परेशानी बनी हुई है, तो बिना समय बर्बाद किए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

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