आयुर्वेद (Ayurveda) की मानें तो ज्यादातर दर्द वात से ही उत्पन्न होते हैं। जब शरीर में वात बढ़ता है तो नसें सिकुड़ जाती हैं, रक्त प्रवाह कम हो जाता है और मांसपेशियां टाइट होकर जकड़न पैदा करती हैं।
पीठ दर्द के लक्षणों में आम तौर पर कमर में जकड़न, झुककर चलने में कठिनाई, रीढ़ की हड्डी में खिंचाव, पैरों में हल्की सनसनाहट, और लंबे समय तक बैठने पर दर्द बढ़ जाना शामिल हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो कमजोर कोर मांसपेशियां, तंग हैमस्ट्रिंग (Hamstrings), विटामिन डी की कमी (Vitamin D Deficiency), खराब पोस्चर (Poor Posture) और डिहाइड्रेशन (Dehydration) भी इस दर्द के पीछे कारण बनते हैं।
यदि आप 30 सेकंड में इस समस्या से राहत पाना चाहते हैं तो बिल्ली-गाय आसन (कैट-काउ पोज) करें। हाथ और घुटनों के बल आकर धीरे-धीरे पीठ को ऊपर उठाएं, फिर नीचे झुकाएं। हर बार 5 सेकंड तक रुकें और इसे 5 बार दोहराएं। इससे रीढ़ की हड्डी में तुरंत लचीलापन आता है। इसके साथ ही नाक से गहरी सांस लें और धीरे-धीरे मुंह से छोड़ें, इससे तनाव कम होगा और मांसपेशियां रिलैक्स होंगी।
इसके अलावा, भुजंगासन (Bhujangasana), मकरासन (Makarasana), सेतुबंधासन (Setubandhasana) और चाइल्ड पोज (Child's Pose) भी काफी असरदार हैं।
घरेलू उपायों में सबसे असरदार है गर्म तौलिया से सेक। इसे 10 मिनट तक करें। सरसों के तेल में लहसुन गर्म कर मालिश करने से भी नसें खुलती हैं और दर्द कम होता है। अजवाइन की भाप या मेथी दाना पानी सुबह खाली पेट लेना भी सूजन और अकड़न को घटाता है। साथ ही अदरक पानी, हल्दी दूध, गिलोय चूर्ण और दशमूल काढ़ा जैसे पेय शरीर में गर्मी और राहत देते हैं।
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