भारत की धरती पर उगने वाली पवित्र तुलसी को आयुर्वेद में मां की तरह देखभाल करने वाली जड़ी-बूटी कहा गया है।  IANS
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तुलसी का काढ़ा: मां के आशीर्वाद जैसी जड़ी-बूटी, जो रोग और इम्यूनिटी दोनों को संभाले

नई दिल्ली, भारत की धरती पर उगने वाली पवित्र तुलसी को आयुर्वेद में मां की तरह देखभाल करने वाली जड़ी-बूटी कहा गया है। यह केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। तुलसी का सेवन वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने में सहायक होता है।

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तुलसी का काढ़ा एक आयुर्वेदिक पेय है जिसे तुलसी की पत्तियों को अन्य औषधीय मसालों और जड़ी-बूटियों (Medicinal spices and herbs) जैसे अदरक, काली मिर्च, दालचीनी, मुलेठी आदि के साथ उबालकर तैयार किया जाता है। यह न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बल्कि मौसमी संक्रमणों से भी बचाता है।

बरसात में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, क्योंकि बारिश के मौसम में गंदगी, दूषित पानी और कीटाणु तेजी से फैलते हैं। तुलसी का काढ़ा एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से इनसे बचाव करता है। वहीं, सर्दियों में ठंड और कफ रोग आम हो जाते हैं, जिससे जुकाम, खांसी और गले में खराश जैसी समस्याएं होती हैं। तुलसी का काढ़ा कफ को दूर करता है और शरीर को गर्माहट प्रदान करता है। इसके साथ ही यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है, जो बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

तुलसी (Tulsi) काढ़ा बनाने के लिए एक गिलास पानी लें और उसमें 5-7 तुलसी की पत्तियां डालें। इसके साथ 1 इंच अदरक का टुकड़ा, 3-4 काली मिर्च और थोड़ी दालचीनी डालकर पानी आधा होने तक उबालें। चाहें तो स्वाद के लिए ठंडा होने पर थोड़ा शहद मिलाया जा सकता है। यह काढ़ा दिन में 1-2 बार पीना लाभकारी होता है।

तुलसी काढ़ा सर्दी-खांसी (Cold and Cough) में राहत देता है, बलगम और कफ को निकालकर गले को साफ करता है, वायरल और मलेरिया जैसे बुखार में लाभकारी है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है और गैस, अपच व पेट दर्द को कम करता है। यह शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में मदद करता है और दिल व श्वसन तंत्र की सुरक्षा करता है।

चरक संहिता में तुलसी को कृमिनाशक और कफनाशक बताया गया है, जबकि सुश्रुत संहिता में श्वसन रोगों और विषहर औषधि के रूप में वर्णित किया गया है। तुलसी के पौधे दिन और रात दोनों समय ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जो इसे सामान्य पौधों से विशेष बनाता है।

आधुनिक शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि तुलसी एच1एन1, डेंगू, मलेरिया और सामान्य सर्दी-जुकाम में लाभकारी है। इसके फाइटोकेमिकल्स (Phytochemicals) कोशिकाओं के डीएनए को टूटने से बचाते हैं, इसलिए इसे प्राकृतिक कैंसर-रोधी भी कहा जाता है।

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