समय के साथ लोगों की सोच और जिम्मेदारियां भी बदल रही हैं। आज का युवा अपने करियर, रिश्तों और परिवार को लेकर जागरुकता के साथ फैसले ले रहा है। IANS
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विश्व गर्भनिरोधक दिवस : अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी, डॉ. मीरा पाठक ने बताए विकल्प

नई दिल्ली, समय के साथ लोगों की सोच और जिम्मेदारियां भी बदल रही हैं। आज का युवा अपने करियर, रिश्तों और परिवार को लेकर जागरुकता के साथ फैसले ले रहा है। बावजूद इसके देश में अनचाही गर्भधारण की घटनाएं अभी भी आम बनी हुई हैं। जानकारी की कमी, सामाजिक दबाव और मिथकों के चलते महिलाएं अनचाहे गर्भधारण करती हैं।

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यही वजह है कि हर साल 26 सितंबर को 'विश्व गर्भनिरोधक दिवस' मनाया जाता है, ताकि लोगों को सुरक्षित गर्भनिरोधक उपायों के बारे में जागरूक किया जा सके।

नोएडा (Noida) स्थित सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, '''विश्व गर्भनिरोधक दिवस' मनाने का उद्देश्य यही है कि हम अनचाही प्रेग्नेंसी से जुड़ी बीमारियों और मातृ मृत्यु दर को कम कर सकें। अक्सर ऐसी प्रेग्नेंसी से डिलीवरी या अबॉर्शन जोखिम भरे हो जाते हैं। ऐसे में गर्भनिरोधक उपायों की जानकारी और सही इस्तेमाल ही महिलाओं को सुरक्षित रख सकता है।''

डॉ. पाठक बताती हैं कि गर्भनिरोधक दो प्रकार के होते हैं- अस्थायी (टेम्परेरी) और स्थायी (परमानेंट)। अस्थायी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल तीन तरह के लोग करते हैं। पहली श्रेणी में वे हैं, जो हाल ही में शादीशुदा हैं और अभी संतान नहीं चाहते। दूसरी श्रेणी में वे लोग आते हैं, जिनका एक बच्चा है और दूसरे बच्चे के बीच अंतर रखना चाहते हैं। तीसरी श्रेणी में वे हैं, जो अपनी फैमिली पूरी कर चुके हैं, लेकिन स्थायी उपाय अपनाने को तैयार नहीं हैं। वहीं, स्थायी गर्भनिरोधक उपाय उन्हीं लोगों के लिए उपयुक्त हैं, जिनकी फैमिली पूरी हो चुकी है और अब उन्हें आगे फर्टिलिटी नहीं चाहिए।

अस्थायी उपायों की बात करते हुए डॉ. मीरा पाठक (Dr. Meera Pathak) ने कहा, "सबसे पहले 'बेरियर मेथेड्स' आते हैं, जिसमें कंडोम सबसे आम विकल्प है। यह न सिर्फ अनचाहे गर्भ से बचाव करता है, बल्कि यौन संचारित रोगों से भी सुरक्षा देता है। कंडोम पुरुष और महिला दोनों के लिए उपलब्ध है। हालांकि, यदि सही तरीके से इस्तेमाल न किया जाए तो यह फेल हो सकता है। इसके साथ स्पर्मीसाइडल जेली का इस्तेमाल करने से इसकी प्रभावशीलता बढ़ जाती है, हालांकि यह अकेले उतना प्रभावी नहीं होता।"

उन्होंने आगे कहा, ''दूसरी श्रेणी में हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स आते है, जो तीन तरह की होती हैं, कंबाइंड पिल्स, प्रोजेस्टेरोन ओनली पिल्स और इमरजेंसी पिल्स। कंबाइंड पिल्स में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों होते हैं और इन्हें नियमित रूप से 21 दिनों तक लिया जाता है। इसके बाद पीरियड्स आते हैं और फिर अगला चक्र शुरू होता है। प्रोजेस्टेरोन ओनली पिल्स खास तौर पर स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं या उन महिलाओं के लिए जिनकी फैमिली हिस्ट्री में ब्रेस्ट कैंसर है। तीसरा विकल्प इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स है, जो असुरक्षित संबंध के बाद 72 घंटे के भीतर ली जाती हैं। हालांकि, इनका बार-बार उपयोग नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि ये पीरियड्स को अनियमित कर सकती हैं और हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकती हैं।''

डॉ. पाठक बताती हैं कि हॉर्मोनल उपायों में ही एक और विकल्प 'इंजेक्टेबल कॉन्ट्रासेप्शन' है। इसमें 'डेपो मेड्रोक्सीप्रोजेस्टेरोन एसीटेट (डीएमपीए) इंजेक्शन' तीन-तीन महीने पर लगाए जाते हैं और ये लंबे समय तक प्रभावी रहते हैं। हालांकि, इनके कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे अनियमित ब्लीडिंग और फर्टिलिटी की वापसी में देरी।

उन्होंने कहा, "स्थायी उपायों में नसबंदी शामिल होती है। पुरुषों के लिए वैसक्टॉमी और महिलाओं के लिए ट्यूबेक्टॉमी। वैसक्टॉमी को लेकर समाज में कई तरह के मिथक हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इससे पुरुषत्व प्रभावित होता है या यौन क्षमता घट जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। वैसक्टॉमी के बाद भी पुरुष सामान्य यौन क्रियाएं कर सकते हैं। इसमें केवल स्पर्म सीमन में नहीं आता। हालांकि, इसमें कुछ समय तक पहले से मौजूद स्पर्म रह सकते हैं, इसलिए तीन महीने तक अन्य गर्भनिरोधक उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है।"

महिलाओं के ऑपरेशन को डॉ. पाठक ने पूरी तरह सुरक्षित और लगभग 100 प्रतिशत प्रभावी बताया। यह उन महिलाओं के लिए आदर्श उपाय है, जिन्होंने परिवार पूरा कर लिया हो और अब आगे गर्भधारण नहीं करना चाहतीं।

[SS]

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