world Rabies Day:-भारत की राजधानी दिल्ली में लगातार चौंकाने वाली घटना सामने आ रही है। [Pixabay] 
स्वास्थ्य

दिल्ली हुआ रेबीज का शिकार, जानें जंगली कुत्तों से बचने के उपाय

दिल्ली में हर दिन 1000 लोग रेबीज का इंजेक्शन लेने अस्पतालों में पहुंच रहे हैं और यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। जैसा आप सब जानते होंगे कि रेबीज कुत्ते या बिल्ली के नाखूनों या उनके काटने से होती है।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Sarita Prasad

भारत की राजधानी दिल्ली में लगातार चौंकाने वाली घटना सामने आ रही है। दरअसल दिल्ली में हर दिन 1000 लोग रेबीज का इंजेक्शन लेने अस्पतालों में पहुंच रहे हैं और यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। जैसा आप सब जानते होंगे कि रेबीज कुत्ते या बिल्ली के नाखूनों या उनके काटने से होती है। दिल्ली में ज्यादातर मामले लावारिस कुत्तों के काटने की वजह से सामने आ रहे हैं।कई बार संक्रमण बढ़ने से जान भी चली जाती है। एक महीने में लोकनायक अस्पताल में चार मरीज संक्रमण बढ़ने की वजह से पहुंचे, लेकिन हालात नाजुक होने पर उन्हें महर्षि वाल्मिकी संक्रामक रोग अस्पताल रेफर किया गया और उनकी मौत हो गई। यह बात तो सभी जानते हैं कि यदि समय पर रेबीज का इलाज नहीं किया गया तो व्यक्ति की भयानक मौत हो जाते हैं।

लापरवाही से बचे

रेबीज के मरीजों में पाया गया की ज्यादातर मामलों में कुत्ते ने  खेल-खेल में दांत मारा होता है। एक से दो फीसदी मामलों में ही काफी बुरी तरह से घायल किया होता है, ऐसे में डॉ. योगेश गौतम ने कहा कि कुत्ता काटे तो लापरवाही न करें। बच्चों को विशेष तौर पर बताएं कि कभी भी कुत्ता, बिल्ली, बंदर या अन्य काट ले तो तुरंत बताएं। कई बार इसे हल्का मानकर छोड़ देते हैं और रेबीज फैल जाता है जिसका आगे चलकर कोई उपचार नहीं है। ऐसे मामलों में मरीज की मौत हो जाती है। बीते दिनों एनसीआर का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था और तेजी से संक्रमण फैलने के कारण बच्चे की मौत हो गई थी। 

डॉ. योगेश गौतम ने कहा कि कुत्ता काटे तो लापरवाही न करें।[Pixabay]

कुत्ते के काटने पर तुरन्त क्या करें

1.घाव को सबसे पहले पानी में धो लें 

2.पांच से 10 मिनट के लिए नल के बहते पानी में रखें

3.एक साफ कपड़े से रक्तस्राव को धीमा करें

4.पट्टी न बांधे और तुरंत अस्पताल लेकर जाए

कुत्तों से रखें अच्छा व्यवहार

समय-समय पर कई बार यह कुत्ते आक्रामक होकर लोगों को काट लेते हैं। ऐसे में पशु चिकित्सकों का मानना है कि बदलाव की मुख्य वजह कुत्ताें के साथ किया गया व्यवहार है।लोग इन दिनों उग्र ब्रीड को मामूली घरों में पाल रहे हैं। इससे उन्हें घूमने की पूरी जगह नहीं मिल पाती है और जब वह बाहर निकलते हैं तो भीड़ को आसपास देखते हैं तो उन्हें डर लगने लगता है। इससे वे लोगों काे काट लेते हैं। कुत्तों को बड़ी जगह में रहना पसंद है, इन्हें छोटी जगह में रखने व बांधकर रखने पर यह दबाव में आ जाते और चिड़चिड़े हो जाते हैं। इससे ये आक्रामक स्थिति में पहुंच जाते हैं। इनके साथ किए गए व्यवहार अहम होते हैं जैसे कि इन्हें फ्रेंडली बनाना जरूरी है, इनके साथ समय बिताना चाहिए। 

पशु चिकित्सकों का मानना है कि बदलाव की मुख्य वजह कुत्ताें के साथ किया गया व्यवहार है[Pixabay]

एमसीडी ने क्या कहा

एमसीडी के अनुसार, राजधानी में करीब सात लाख लावारिस कुत्ते हैं। कुत्ता काटने के बढ़ते मामलों के बीच एमसीडी नसबंदी करने का अपना अभियान तेज कर रही है। इसके लिए अतिरिक्त एनजीओ को जोड़ा गया है। अब इनकी संख्या 16 से बढ़कर 21 हो गई है। वहीं, 21 नसबंदी केंद्र भी बनाए गए हैं। इनमें से पांच केंद्र विभिन्न एनजीओ के हैं, जबकि आठ केंद्र एमसीडी ने अपनी भूमि पर बनाए हैं और आठ केंद्र उसने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में तैयार किए हैं। इससे सालाना 75,000 कुत्तों की नसबंदी हो सकेगी। अभी तक यह संख्या करीब 55 हजार थी। अधिकारी बताते हैं कि एमसीडी अपने स्तर पर लावारिस कुत्ता पकड़नेे पर नसबंदी करने के लिए एनजीओ को 900 रुपये का भुगतान करती है।

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