पीसीओडी हार्मोनल समस्या है जो आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है।
अधिकतर महिलाएं पीसीओडी की समस्या की वजह से बांझपन यानी आसानी से गर्भधारण न करने की समस्या को महसूस करती है।
यदि कोई महिला पीसीओडी से ग्रसित है तो उन्हें इसके लक्षण को कम करने के लिए ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिसमें वह मौसमी फल और सब्जियों को शामिल कर सकती है। हालांकि फाइबर युक्त और हाइड्रेशन से भरपूर खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें।
महिलाओं को होने वाली PCOD समस्या क्या है? यहां जानिए PCOD की फुल फॉर्म, लक्षण, कारण, इलाज, सावधानियां और बचाव से संबंधित संपूर्ण जानकारी!
पीसीओडी हार्मोनल समस्या है जो आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है। जब महिला के अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं तब उसे चिकित्सीय भाषा में हार्मोनल इंबैलेंस या असंतुलन बताया जाता है।
पीसीओडी की पूरी फुल फॉर्म पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर या Polycystic Ovary Disorder मानी जाती है।
महिलाओं में PCOD होने पर कौन-कौन से लक्षण दिखाई देते हैं?
यदि कोई महिला पीसीओडी की समस्या से ग्रसित है तो उसे निम्नलिखित प्रकार के लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाएंगे-:
महिलाओं को अपने मासिक धर्म के चक्र में अनियमित दिखाई देनी शुरू हो जाती है जिसका अर्थ यह होता है की मासिक धर्म समय पर नहीं होते या फिर समय पर होते हैं तो वह एक लंबे समय तक चलते हैं या बेहद ही कम समय में खत्म हो जाते हैं।
महिलाओं में शरीर के विभिन्न अंगों जैसे छाती, चेहरे और पीठ पर अनचाहे अत्यधिक बालों का विकास होने लगता है।
चिकित्सा के मुताबिक पीसीओडी के दौरान शरीर में गर्मी का प्रभाव बढ़ जाता है जिस वजह से चेहरे पर कील मुंहासे होने लगते हैं।
महिलाओं में पीसीओडी की समस्या के दौरान विशेष रूप से वजन बढ़ाने का लक्षण देखा जाता है जिसमें पेट के आसपास अत्यधिक चर्बी जमा होने लग जाती है।
अधिकतर महिलाएं पीसीओडी की समस्या की वजह से बांझपन यानी आसानी से गर्भधारण न करने की समस्या को महसूस करती है।
पीसीओडी की समस्या में ज्यादातर मूड स्विंग्स होने लगते हैं जिसमें चिंता और डिप्रेशन जैसी स्वास्थ्य समस्या बढ़ने लग जाती है।
महिलाओं में पीसीओडी की समस्या उत्पन्न होने के क्या कारण है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं में पीसीओडी की समस्या उत्पन्न होने के कई मुख्य कारण हो सकते हैं लेकिन इसके कुछ सटीक कारण निम्नलिखित है-:
कई हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक यदि परिवार में किसी महिला को पहले पीसीओडी की समस्या हो चुकी है तो यह समस्या अन्य परिवार की महिला में स्थानांतरित हो सकती है जिसे अनुवांशिक पीसीओडी की समस्या कहा जाता है।
चिकित्सीय जानकारी के मुताबिक महिला के शरीर में जब एंड्रोजन और इंसुलिन गड़बड़ा जाता है तो इस वजह से भी पीसीओडी की समस्या उत्पन्न होती है जिसे हार्मोनल इंबैलेंस या असंतुलन कहा जाता है।
ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक महिलाओं में पीसीओडी की समस्या अनहेल्दी लाइफस्टाइल से भी उत्पन्न होती है। दरअसल जब महिलाएं शारीरिक रूप से कम एक्टिव, ज्यादा चिंता करना और अस्वस्थ पदार्थ का सेवन आदि चीज करती है तो यह पीसीओडी का एक कारण बन जाती है।
कुछ हेल्थ रिपोर्ट्स में यह भी माना गया है कि पर्यावरण का प्रदूषण और रसायन भी महिलाओं के शरीर में मौजूद हारमोंस को इंबैलेंस कर देता है जिस वजह से यह पीसीओडी की समस्या उत्पन्न होती है। हालांकि यह ज्यादातर तब होता है जब महिला गंदे प्रदूषित वातावरण में काम कर रही हो, अन्यथा ज्यादातर परिस्थितियों में पीसीओडी होने का यह कारण कम ही माना जाता है।
महिलाओं में पीसीओडी की समस्या ठीक करने के नेचुरल और चिकित्सीय इलाज क्या है?
यदि महिलाओं को यह लक्षण दिखाई देते हैं कि उन्हें पीसीओडी की समस्या हो गई है तो उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए। हालांकि महिलाएं पीसीओडी की समस्या को नेचुरल तरीके से भी ठीक कर सकती है जिसमें निम्नलिखित उपाय शामिल है-:
पीसीओडी की समस्या में महिलाओं को एक संतुलित आहार लेने की राय दी जाती है जिसमें मौसमी सब्जियां, फल और साबुत अनाज आदि खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं।
महिलाओं में पीसीओडी की समस्या को योग और एक्सरसाइज से भी ठीक किया जा सकता है। यदि महिलाएं डॉक्टर की परामर्श से कोई एक एक्सरसाइज प्रतिदिन करें तो इससे पीसीओडी की समस्या खत्म हो सकती है।
महिलाएं पीसीओडी की समस्या में कुछ आयुर्वेदिक सप्लीमेंट्स जैसे अश्वगंधा और शतावरी का भी सेवन कर सकती है लेकिन यह केवल शरीर की स्थिति और डॉक्टर की परामर्श के बाद ही करना चाहिए।
यदि महिलाएं पीसीओडी की समस्या से निपटने के लिए चिकित्सा इलाज चाहती है तो नीचे कुछ उपाय दिए गए हैं जो कि इस प्रकार है-:
डॉक्टर द्वारा पीसीओडी की समस्या में महिलाओं को हार्मोनल थेरेपी के लिए राय दी जाती है जिसमें हार्मोन को बैलेंस में लाने के लिए सप्लीमेंट्स और टेस्ट का सुझाव दिया जाता है।
यदि पीसीओडी की समस्या के कारण कोई महिला गर्भधारण करने में दिक्कत महसूस कर रही है तो डॉक्टर द्वारा उसे फर्टिलाइजर दवाइयां इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है।
शरीर में मौजूद इंसुलिन को बैलेंस करने के लिए डॉक्टर द्वारा परामर्श के अनुसार इंसुलिन की दवाइयां का सेवन किया जाता है जिससे पीसीओडी के लक्षण को काम किया जा सके।
महिलाएं पीसीओडी की समस्या के दौरान क्या खाएं?
यदि कोई भी महिला पीसीओडी की समस्या से ग्रसित है तो उन्हें निम्नलिखित चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए-:
यदि कोई महिला पीसीओडी से ग्रसित है तो उन्हें इसके लक्षण को कम करने के लिए ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिसमें वह मौसमी फल और सब्जियों को शामिल कर सकती है। हालांकि फाइबर युक्त और हाइड्रेशन से भरपूर खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें।
महिलाएं पीसीओडी की समस्या में साबुत अनाज का भी सेवन कर सकती है जिसमें ओट्स, ब्राउन राइस और किवनोआ शामिल है।
महिलाएं पीसीओडी की समस्या में प्रोटीन की मात्रा को पूरा करने के लिए चिकन टोफू और मछली आदि का सेवन कर सकती है।
शरीर में फैट को नियंत्रित करने के लिए हेल्दी फैट युक्त पदार्थ जैसे काजू बादाम एवोकाडो का सेवन किया जा सकता है।
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