लंबे समय तक कुर्सी पर बैठना, गलत पोस्चर और सर्दियों की जकड़न के कारण कमर, गर्दन और कंधों के दर्द से परेशान होना आम बात बन चुकी है। थोड़ी सी लापरवाही और ये समस्याएं घेर लेती हैं। मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा बताता है कि शारीरिक हो या मानसिक हर समस्या का समाधान योगासन के पास है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि रोजाना कुछ मिनट मार्जरी-बिटिलासन (जिसे कैट काउ पोज भी कहते हैं) करने से दर्द की छुट्टी हो जाती है। मार्जरी-बिटिलासन (Marjari-Bitilasana) वास्तव में दो आसनों का संयोजन है, पहला मार्जरी आसन (बिल्ली की मुद्रा) और दूसरा बिटिलासन (गाय की मुद्रा)। इसमें रीढ़ की हड्डी को आगे-पीछे लहर की तरह हिलाया जाता है, जिससे पूरा स्पाइन लचीला और मजबूत बनता है।
मार्जरी-बिटिलासन के अभ्यास से जितना लाभ मिलता है इसकी विधि उतनी ही सरल है। इसके लिए सबसे पहले वज्रासन मुद्रा में बैठें। फिर घुटनों के बल टेबल टॉप पोजीशन में खड़े हो जाएं। दोनों हथेलियों को जमीन पर रखें, गहरी सांस लें और पीठ को नीचे की ओर धकेलें, सिर और गर्दन ऊपर उठाएं। इसके बाद सांस छोड़ें और पीठ को ऊपर की ओर उठाएं। इस क्रिया को धीरे-धीरे 5 से 10 बार दोहराएं।
मार्जरी-बिटिलासन रोजाना करने से कमर का निचला दर्द (लंबर पेन) और सायटिका में राहत मिलती है। गर्दन (Neck) और कंधों की जकड़न दूर होती है, सर्वाइकल पेन में आराम मिलता है। रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है, स्पॉन्डिलाइटिस में लाभ होता है। पेट की चर्बी कम होती है और पाचन सुधरता है। इससे तनाव और चिड़चिड़ापन कम होता है, नींद अच्छी आती है। फेफड़े पूरी क्षमता से खुलते हैं।
योग एक्सपर्ट (Yog Experts) बताते हैं कि यह आसन करने से पूरा शरीर एक्टिव और दर्द-मुक्त हो जाता है। हालांकि, किसी प्रकार के ज्वाइंट पेन से पीड़ित व्यक्तियों को एक्सपर्ट की सलाह के बाद ही अभ्यास करना चाहिए।
[AK]