आयुर्वेद (Ayurveda) में छोटी दिखने वाली साधारण सी सौंफ को औषधि माना गया है, जो मन और तन दोनों को संतुलित करने का काम करती है। सौंफ स्तनपान कराने वाली माओं के लिए दवा की तरह काम करती है, जो प्राकृतिक तरीके से दूध के उत्पादन को बढ़ाती है।
सौंफ की तासीर ठंडी होती है और इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। सौंफ अपने शीतला के गुण की वजह से ही पेट संबंधी विकारों में लाभकारी होती है। सदियों से घरों में खाने के बाद सौंफ और मिश्री खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि सौंफ पेट की पाचन अग्नि को संतुलित करती है और अल्सर, कब्ज और पेट फूलने की समस्या से निजात दिलाती है। इसलिए हमेशा खाने के बाद सौंफ का सेवन लाभकारी होता है। सौंफ के साथ मिश्री के अलावा, इलायची पीसकर लेना भी अच्छा रहता है। खाना खाने के कुछ देर बाद गुनगुने पानी के साथ सौंफ और इलायची का मिश्रण लें। इससे पेट की पाचन शक्ति बढ़ती है।
अगर मुंह से दुर्गंध आती है या कफ निकलता रहता है, तो दो चम्मच सौंफ को पानी में उबालकर काढ़ा ऐसा बना लेना चाहिए। इससे दिन में दो बार गरारे करें और नियमित 1 हफ्ते तक करें। इससे मुंह की दुर्गंध दूर होगी और गले के बैक्टीरिया भी खत्म होंगे। अगर शरीर की अंदरूनी गर्मी बढ़ गई है और गर्मी होने से घमोरियां या घबराहट परेशान कर रही है, तो सौंफ को पानी में उबालकर थोड़े से काले नमक और चीनी के साथ सेवन करना चाहिए। इससे शरीर की अंदरूनी हीट कम होती है। ये समस्या महिलाओं में मासिक धर्म के समय अधिक देखी जाती है।
गलत खान-पान की वजह से बच्चों को पेट में दर्द की समस्या ज्यादा होती है। ऐसे में सौंफ और मिश्री को उबालकर ठंडा करके शर्बत बना लिया जाए और बच्चों को दिन में दो-तीन बार दिया जाए, तो पेट के दर्द में धीरे-धीरे आराम मिलेगा। मोटापा की समस्या भारत में बढ़ती जा रही है। मोटापा से लड़ने के लिए सरकार भी प्रेरित करती रहती है। ऐसे में सौंफ मोटापे को कम करने में भी मदद करती है।
इसके अलावा, जौ के साथ सौंफ का सूप स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध का उत्पादन बढ़ाता है।
(BA)