भारत की राजधानी दिल्ली जिसे दिल वालो की दिल्ली भी कहा जाता है यहां बहुत सारे ऐसे ऐतिहासिक इमारत है जो दुनियाभर में प्रसिद्ध है। जामा मस्जिद, कुतुब मीनार , इंडिया गेट, हो या फिर लाल किला टूरिस्ट को यहां घूमने पर मजबूर कर ही देती है।वहीं अगर इनके इतिहास के बारे में बात करें, तो इन स्थानों की हिस्ट्री भी बड़ी ही दिलचस्प है, यही कारण है कि यहां विदेशो से भी टूरिस्ट जरूर घूमने-फिरने के लिए आते हैं। आज हम दिल्ली की प्रसिद्ध जगह लाल किले के बारे में ऐसी बाते बताने वाले है जिसके बारे में आपको शायद ही पता हो।
लाल किले का नाम सुनकर सभी आसानी से कह सकते है की लाल किले का रंग लाल है परन्तु आपको जानकर हैरानी होगी की पहले शाहजहां ने लाल किला सफ़ेद रंग का बनवाया गया था लेकिन जब अंग्रेजों ने भारत पर शासन करना शुरू किया तो कई इमारतों का रंग भी बदल दिया गया।
49.1815 हेक्टेयर (256 एकड़) में फैले दिल्ली के लाल किला परिसर में बगले का पुराना किला सलीमगढ़ भी शामिल है, जिसे इस्लाम शाह सूरी ने 1546 में बनवाया था। इसे पूरा होने में लगभग एक दशक यानी 10 साल का समय लगा था। शाहजहाँ के दरबार के उस्ताद हामिद और उस्ताद अहमद ने 1638 में निर्माण शुरू किया और 1648 में इसको पूरा किया।
जब अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली ट्रांसफर करने का निर्णेय लिया गया था तब शाहजहां ने इस किले का निर्माण करवाया था तब उन्होंने इसका नाम लाल किला नहीं किला - ऐ - मुबारक रखा था। लाल किले के लाल दीवारों को देख कर लोगों ने इसे लाल किले का नाम दे दिया।
बहादुर शाह जफर को लाल किले में राजद्रोह के लिए अंग्रेजों द्वारा प्रताड़ित किया गया था । बहादुर शाह ज़फ़र मुग़ल साम्राज्य के अंतिम शासक थे, जो 1857 के विद्रोह का प्रतीक थे। दीवान-ए-खास में ब्रिटिश अदालत ने इन्हे कैद किया बाद में दोषी पाने पर इनका राजा का ताज छीन लिया गया।
लाल किले को मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था और कोहिनूर हीरा उनके सिंघासन में जड़ा हुआ था। इसलिए वो चाहते थे कि ये हीरा लाल किला का निर्माण पूरा होने के बाद इसके मुख्य भाग में जड़वाया जाए। मगर नेपोलियन नादिर शाह ने इसे पहले ही चुरा लिया था।