Sigiriya Rock Fortress: सिगिरिया एक खड़ी चट्टान है, जो समुद्र तल से 1144 फीट और आसपास के मैदान से 600 फीट ऊंची है। (Wikimedia Commons) 
सैर-सपाटा

ये खंडहरों को देखने आते है लोग , 1100 फीट ऊंची चट्टान पर है श्रीलंका का ‘शेर किला’

ये किला पहले भव्य हुआ करता था, लेकिन अब उसके खंडहर ही शेष बचे हैं। सिगिरिया किला श्रीलंका के सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है

न्यूज़ग्राम डेस्क

Sigiriya Rock Fortress: श्रीलंका में स्थित सिगिरिया 5वीं शताब्दी ईस्वी का एक चट्टानी किला है। जिसे ‘शेर किला’ और चट्टान को ‘लॉयन रॉक’ के नाम से भी जाना जाता है। सिगिरिया एक खड़ी चट्टान है, जो समुद्र तल से 1144 फीट और आसपास के मैदान से 600 फीट ऊंची है। ये किला इसी चट्टान के ऊपर बना हुआ है, जिसमें 1258 सीढ़िया है। ये किला पहले भव्य हुआ करता था, लेकिन अब उसके खंडहर ही शेष बचे हैं। सिगिरिया किला श्रीलंका के सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है और देश में सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटन स्थल भी है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।

इसकी भव्यता की बात की जाए तो चट्टान के शिखर और किले के खंडहरों तक पहुंचने के लिए लोग सीढ़ियों द्वारा चढ़ते है। किले तक पहुंचने की सीढ़ियां के द्वार पर शेर के दो पंजें चट्टान को काटकर बनाए गए हैं, जिसे 'लॉयन गेट' के नाम से जाना जाता है। साथ ही चट्टान के चारों ओर का हरे- भरे पेड़ों से घिरा इलाका दिखता है। यह वीडियो एक मिनट 28 सेकंड का है।

ये किला जिसमें 1258 सीढ़िया है। (Wikimedia Commons)

क्या है इसका इतिहास?

sigiriyafortress.com की रिपोर्ट के अनुसार, सिगिरिया किले को राजा कश्यप प्रथम द्वारा बनवाया था। 477-495A.D. तक सिंहली राजवंश पर शासन किया था। 495 A.D. में कश्यप के पराजित होने तक यह भव्य किला सिंहली साम्राज्य की राजधानी था।इस किले में आज भी लोग किले के खंडहरों, बगीचों, खंदकों, दर्पण की दीवार देखने आते है। बड़ी संख्या में पर्यटक इस चट्टानी किले को देखने के लिए आते हैं, इसलिए भीड़ से बचने के लिए आपको सुबह जल्दी ही किले तक पहुंचना चाहिए।

सिगिरिया किला श्रीलंका के सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है । (Wikimedia Commons)

गैर - शाही मालकिन के पुत्र थे राजा

राजा कश्यप का जीवन और शासन विवादों से भरा था। दरअसल, राजा का जन्म उनके पिता की गैर-शाही मालकिन से हुआ था। इसी लिए कश्यप को राजगद्दी पर कोई अधिकार नहीं था परंतु उसने अपने पिता राजा धातुसेना के खिलाफ विद्रोह किया, उन्हें कैद कर लिया गया और मार दिया गया। फिर शव को एक दीवार के भीतर दफना दिया गया और अपने भाई के असली उत्तराधिकारी होने के बावजूद, कश्यप ने सिंहासन हासिल कर लिया।

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