Tourist Place Kiarighat Hill Station : पर्यटन कारोबार की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश सबसे आगे है। प्राकृतिक आपदा के बावजूद वर्ष 2023 में करीब 1.60 करोड़ पर्यटक हिमाचल घूमने आए। हिमाचल प्रदेश में ऐसी बहुत सारी ऑफबीट जगहें हैं, जिनकी सुंदरता को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ऐसी ही एक जगह कियारीघाट है जो हिमाचल प्रदेश के कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग से 22 किमी की दूरी पर स्थित एक छोटा सा हिल स्टेशन है, जो जंगलों और खूबसूरत नजारों से घिरा हुआ है। कियारीघाट के आकर्षण और सुंदरता के कारण हर साल हजारों पर्यटक यहां घूमने आते हैं।
कियारीघाट जाने के लिए आप अपनी कार या पब्लिक बस से यहां पहुंच सकते हैं या आपको निकटतम रेलवे स्टेशन कंडाघाट पर उतरना होगा। यहां से आप टैक्सी या बस से पहुंच सकते हैं। यदि आप हवाई जहाज से आना चाहते है तो आप शिमला में जुब्बल हट्टी हवाई अड्डा पर पहुंचे, जहां से कियारीघाट तक टैक्सी या बस की सुविधा उपलब्ध है।
कियारीघाट का सबसे मशहूर जगह 'द एप्पल कार्ट इन' है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह जगह बहुत ही शानदार है। काफी साल पहले यह जगह डाक बंगला हुआ करती थी, लेकिन अब इसे हिमाचल प्रदेश टूरिज्म ने इकॉनोमी बार कम रेस्टोरेंट में बदल दिया है। यहां आप स्वादिष्ट खाना का आनंद ले सकते हैं। इस कैफेटेरिया की खास बात यह है कि यह देर रात तक भी खुला रहता है।
चूड़धार अभयारण्य हिमाचल प्रदेश के राज्य सिरमौर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है। इस जगह की स्थापना 1985 में की गई थी। यह 56 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां आपको प्राकृतिक नजारे के साथ चूड़धार चिरघुल महाराज की प्रतिमा भी देखने को मिलेगी। यहां भगवान शिव शिरगुल महाराज के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। शिरगुल महादेव को चौपाल और सिरमौर का देवता भी माना जाता है।
यह हिमाचल के सोलन जिले के करोल पहाड़ के ऊपर स्थित है। यह हिमालय में स्थित सबसे लंबी-पुरानी और रहस्यमयी गुफा है, जो बहुत से रहस्य समेटे हुए हैं। यहां पहुंचने के लिए करोल चोटी के शिखर पर जाना पड़ता है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ही नहीं बल्कि पांडवों ने भी यहां तपस्या की थी। इस गुफा को पांडव गुफा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंदर कई शिवलिंग भी बने हुए हैं।
यह एक छोटा सा गांव है, जो अपने शिव मंदिर के लिए जाना जाता है। जिसका नाम जटोली शिव मंदिर है। जिसकी ऊंचाई लगभग 111 फुट है। यहां मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे और कुछ समय के लिए रहे थे। इसके बाद 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस बाबा आए और इनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। यहां की सुंदरता ही इसे खास बनाती है।