Air Turbulence : 21 मई को सिंगापुर एयरलाइंस का एक विमान तीन मिनट में 6,000 फुट नीचे आ गया। इससे विमान में इतनी खतरनाक हलचल हुई कि एक व्यक्ति की मौत हो गई। आपको बता दें एयर टर्बुलेंस कई बार जानलेवा भी हो सकता है। 73 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक की जान किस वजह से हुई, इस बारे में अभी जांच हो रही है। अधिकारियों द्वारा कहा गया कि शायद उनकी हृदय गति रुक गई होगी।
टर्बुलेंस की अब तक हुई घटनाओं में से अधिकतर मामूली हुई हैं लेकिन विमान कंपनियों ने दुर्घटनाओं को रोकने और कम करने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं। इसके बाद भी विशेषज्ञ कहते हैं कि यात्रियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
टर्बुलेंस एक अस्थिर हवा होती है जिसकी गति और भार का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। अधितकतर लोग समझते हैं कि ऐसा खराब मौसम या तूफान आदि में ही होता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सबसे ज्यादा खतरनाक टर्बुलेंस तब होता है जब मौसम साफ हो और सामने आसमान में किसी तरह का खतरा या संकेत नजर ना आ रहा हो।
ऐसा टर्बुलेंस अक्सर अधिक ऊंचाई पर मौजूद हवा की धाराओं में होता है, जिन्हें जेट स्ट्रीम कहते हैं। ऐसा तब होता है जब हवा की दो धाराएं एक दूसरे के आस-पास अलग-अलग रफ्तार से बहती हैं। यदि रफ्तार का अंतर बहुत ज्यादा हो तो वातावरण इसका दबाव संभाल नहीं पाता और हवा की धाराएं दो हिस्सों में बंट जाती हैं।
इसका कोई सटिक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है कि टर्बुलेंस के कारण कितने यात्री प्रभावित हुए हैं लेकिन कुछ देश अपने यहां इस तरह की घटनाओं के आंकड़े प्रकाशित करते रहते हैं। जैसे नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के अनुसार, अमेरिका में 2009 से 2022 के बीच टर्बुलेंस के कारण 163 लोग इतने ज्यादा घायल हुए थे कि उन्हें कम से कम दो दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा। इनमें से अधिकतर चालक दल के सदस्य थे। चालक दल के सदस्यों को चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वे उड़ान के दौरान अपनी सीटों पर पेटी बांधकर नहीं बैठे होते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण भी टर्बुलेंस के मामलों में वृद्धि हो सकती है। एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि नॉर्थ अटलांटिक विमान मार्ग पर 1979 से 2020 के बीच मामले 55 फीसदी बढ़ गए। वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहा है क्योंकि ऊंचाई पर हवा गर्म हो गई है जिस कारण उसकी रफ्तार बदल गई।