किताबें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं होतीं, कभी-कभी वे आग का गोला भी बन जाती हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी किसी लेखक ने समाज, धर्म, राजनीति या सत्ता के ढांचे को चुनौती दी है, तो उन शब्दों ने स्याही से नहीं, खून और आंसुओं से असर छोड़ा है। कुछ किताबें ऐसी भी हैं जिनके कारण सरकारें हिलीं, धर्मगुरु नाराज़ हुए, आंदोलन भड़के और लेखक खुद मौत की धमकियों के साए में जीने को मजबूर हो गए। किसी किताब पर प्रतिबंध लगा, किसी की प्रतियां जलाई गईं, तो किसी लेखक को देश छोड़कर भागना पड़ा। इन किताबों ने सवाल पूछे, कभी भगवान के अस्तित्व पर, कभी सत्ता की नीयत पर, और कभी समाज की नैतिकता पर, और यही सवाल कई बार बगावत बन गए। इन किताबों ने ना सिर्फ इतिहास में जगह बनाई, बल्कि अपने पीछे गहरा विभाजन भी छोड़ा। आज हम उन 6 किताबों के बारे में जानेंगे जिनके छपने के बाद दुनियां भर में काफी बवाल हुए (6 Most Controversial Books of the World)।
एक फुटबॉल खिलाड़ी की किताब जिसे झेलना पड़ा बवाल
OJ Simpson अमेरिका के मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी थे, लेकिन उनका नाम खेल से ज़्यादा एक हत्या के केस की वजह से चर्चा में रहा। 1994 में उनकी पूर्व पत्नी निकोल ब्राउन और उनके दोस्त रॉन गोल्डमैन की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। सबूत और शक दोनों OJ की ओर इशारा कर रहे थे, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया। इस मुकदमे को "सदी का सबसे बड़ा मुकदमा" कहा गया था, जिसे लाखों लोगों ने टीवी पर देखा। लेकिन असली विवाद तब हुआ जब OJ Simpson ने 2007 में एक किताब लिखी "If I Did It: Confessions of the Killer" (अगर मैंने किया होता: एक कातिल का कबूलनामा)।
इस किताब में उन्होंने "कल्पना" के आधार पर बताया कि अगर उन्होंने ये हत्या की होती, तो कैसे की होती! किताब की भाषा, विवरण और शैली ने पाठकों को हैरान कर दिया। लोग समझ ही नहीं पाए कि यह काल्पनिक बयान है या छिपा हुआ सच। इस किताब को कई लोगों ने "असंवेदनशील", "भयानक" और "हत्याओं का मज़ाक उड़ाने वाला" बताया। विरोध इतना ज़्यादा हुआ कि कुछ समय के लिए किताब को बाजार से हटा लिया गया। OJ Simpson की ये किताब आज भी एक ऐसा उदाहरण है, जब एक किताब ने इंसाफ और नैतिकता के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया था।
'लोलिता', एक ऐसी किताब जिसने नैतिकता की सीमाएं हिला दीं
'लोलिता' (Lolita), बीसवीं सदी की सबसे चर्चित और विवादित किताबों में गिनी जाती है। यह उपन्यास 1955 में प्रसिद्ध लेखक व्लादीमीर नबोकोव (Vladimir Nabokov) द्वारा लिखा गया था।
कहानी एक अधेड़ उम्र के आदमी हम्बर्ट और सिर्फ 12 साल की एक लड़की डोलोरस हेज़ (लोलिता) के बीच के रिश्ते पर आधारित थी। लेखक ने इस किताब में एक बच्ची के प्रति अपने किरदार के "प्यार" को काफी विस्तार से और भावनात्मक तरीके से लिखा, जो समाज की नैतिक सीमाओं के बिल्कुल खिलाफ माना गया। यही वजह थी कि कई प्रकाशक इस किताब को छापने से डरते रहे। आखिरकार, पेरिस की एक ऐसी कंपनी ने इसे छापा, जो आमतौर पर पोर्नोग्राफ़िक किताबें प्रकाशित करती थी।
इस किताब के सामने आते ही ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने इस पर किताब पर बैन लगा दिया। हालांकि आलोचना और विवादों के बावजूद, ‘लोलिता’ (Lolita) की अब तक 5 करोड़ से ज़्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। इस किताब को इसलिए विवादित कहा गया क्योंकि इसमें बाल यौन आकर्षण जैसे संवेदनशील विषय को एक प्रेम कहानी की तरह दिखाया गया, जो समाज और नैतिकता दोनों पर गंभीर सवाल उठाता है।
'द सैटेनिक वर्सेज' एक किताब, जिसने दुनियाभर में मचा दिया तूफ़ान
सलमान रुश्दी (Salman Rushdie), एक भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक हैं, जिनकी 1988 में प्रकाशित किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' ('The Satanic Verses') ने पूरे इस्लामी जगत में जबरदस्त बवाल खड़ा कर दिया था।
इस उपन्यास में इस्लाम और पैग़ंबर मोहम्मद साहब के जीवन से जुड़े कुछ हिस्सों को लेकर आलोचना की गई थी, जिसे कई मुसलमानों ने गलत माना। इस किताब के विरोध में ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला ख़ोमैनी ने सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) के खिलाफ फ़तवा जारी कर दिया और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई। इतना ही नहीं, रुश्दी को मारने वाले को दस लाख पाउंड तक का इनाम देने की घोषणा भी हुई।
इस विवाद के चलते दो देशों के राजनयिक संबंध भी बिगड़ गए और रुश्दी को दस साल तक छिपकर रहना पड़ा। आज भी यह किताब भारत और कई मुस्लिम देशों में प्रतिबंधित है। ईरान की एक समाचार एजेंसी के अनुसार, 40 मीडिया कंपनियों ने मिलकर 6 लाख डॉलर की रकम सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए तय की थी। धार्मिक भावना को आहत करने के चलते यह किताब अब तक की सबसे विवादित पुस्तकों में से एक मानी जाती है।
‘माइन काम्फ़’: हिटलर की सोच और नाज़ी विचारधारा की किताब
एडोल्फ़ हिटलर (Adolf Hitler) की प्रसिद्ध और विवादित किताब 'माइन काम्फ़' ('Mein Kampf') (अर्थात् मेरी संघर्ष गाथा) साल 1925 में प्रकाशित हुई थी। यह किताब नाज़ी विचारधारा का आधार मानी जाती है और इसे नाज़ियों का घोषणापत्र कहा गया।
हिटलर (Adolf Hitler) ने यह किताब जेल में रहते हुए लिखी थी, जहाँ वह म्युनिख में सत्ता हथियाने की नाकाम कोशिश के बाद देशद्रोह के आरोप में सज़ा काट रहा था। जब नाज़ी पार्टी सत्ता में आई, तो यह किताब पूरे जर्मनी में बेहद लोकप्रिय हो गई। सरकार नवविवाहितों को इस किताब की प्रति उपहार में देती थी, और बड़े अधिकारियों के घरों में सोने की पत्तियों से मढ़ी प्रतियां सजाई जाती थीं। उस दौर में इस किताब की लगभग 1 करोड़ 20 लाख प्कॉपी छपी थीं।
लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ियों की हार के बाद, इस किताब के कॉपीराइट पर बैवेरिया राज्य का अधिकार हो गया और 70 सालों तक इस पर बैन रहा। यह प्रतिबंध 1 जनवरी 2016 को खत्म हुआ। अब म्युनिख का इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेपरेरी हिस्ट्री इस किताब का नया संस्करण प्रकाशित कर रहा है, जिसमें हिटलर की सोच की आलोचना और ऐतिहासिक विश्लेषण भी शामिल होंगे।
जब एक किताब ने अमेरिका की चुप्पी तोड़ी: माया एंजेलो की आत्मकथा
माया एंजेलो (Maya Angelou) की आत्मकथात्मक किताब 'I Know Why the Caged Bird Sings' साल 1970 में प्रकाशित हुई थी और आते ही विवादों में घिर गई।
यह किताब उनके बचपन के अनुभवों पर आधारित है, जो उन्होंने अमेरिका के गरीब और नस्लवाद-ग्रस्त इलाके डीप साउथ में बिताए थे। इस किताब में माया ने 7 साल की उम्र में खुद के साथ हुए यौन शोषण का स्पष्ट और साहसिक वर्णन किया है। उन्होंने लिखा कि कैसे उनकी मां के बॉयफ्रेंड ने उनका बलात्कार किया, और कैसे उस आदमी को सज़ा के बाद मार दिया गया। उस समय अमेरिका में नस्लवाद, बाल शोषण और यौन हिंसा जैसे विषयों पर खुलकर बात करना एक बड़ा सामाजिक टैबू था।
माया की यह किताब पहली बार इन संवेदनशील मुद्दों को खुलकर सामने लाने वाली किताबों में से एक थी, इसलिए इसे कई स्कूलों और लाइब्रेरीज़ में बैन कर दिया गया। लेकिन इस किताब ने कई लोगों को अपनी आवाज़ उठाने की हिम्मत दी। बाद में, बराक ओबामा ने माया एंजेलो को "अपने समय की सबसे चमकती रोशनियों में से एक" कहा। यही वजह है कि यह किताब जितनी प्रभावशाली है, उतनी ही विवादित भी रही।
'अ क्लॉकवर्क ऑरेंज' ने क्यों मचा दिया बवाल?
'अ क्लॉकवर्क ऑरेंज' ('A Clockwork Orange') एक ऐसी किताब है जिसने छपते ही विवादों का तूफान खड़ा कर दिया। एंथनी बर्जेस (Anthony Burgess) द्वारा लिखी गई यह किताब 1962 में प्रकाशित हुई थी और इसकी कहानी एक किशोर अपराधी एलेक्स के इर्द-गिर्द घूमती है।
एलेक्स को हिंसा, बलात्कार और बीथोवन की संगीत का शौक है। इस उपन्यास में ब्रिटेन के निकट भविष्य की कल्पना की गई थी, जहां युवा अपराध चरम पर पहुंच चुका था। लेकिन जो बात सबसे ज्यादा चौंकाती है, वो है इस किताब में हिंसा और यौन अपराधों का खुला और बार-बार किया गया चित्रण। इन्हीं कारणों से अमेरिका के कई स्कूलों और पुस्तकालयों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। जब मशहूर निर्देशक स्टैनली क्युब्रिक ने इस किताब पर आधारित एक फिल्म और नाटक बनाया, तो विवाद और बढ़ गया। लोगों का कहना था कि ये किताब और उसका मंचन युवाओं को हिंसा की ओर प्रेरित कर सकता है।
हालांकि कुछ लोगों ने इसे मानव स्वभाव की गहराई और स्वतंत्र इच्छा पर सवाल उठाने वाला गहरा साहित्य माना, लेकिन इसकी काली दुनिया और क्रूरता ने इसे दुनिया की सबसे विवादित किताबों में शामिल कर दिया। [Rh/SP]