Chinese Magic Mirrors : यह एक पॉलिश किया हुआ कांस्य दर्पण है, जिसके पीछे एक आकार बना हुआ है, चीन में इसे t’ou kuang ching कहा जाता है। (Wikimedia Commons) 
अन्य

चीन के जादुई दर्पण, सच में है यह जादू या इसके पीछे है विज्ञान का कोई कमाल !

चीन के इन जादुई दर्पणों की डिजाइन बड़ी ही अद्भुत होती है। ये कांसे के दर्पण होते हैं, जिनके सामने का भाग पॉलिशदार होता है और पीछे की तरफ कांसे से बना डिजाइन होता है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Chinese Magic Mirrors : एक हजार सालों से भी अधिक समय से एक दुर्लभ प्रकार की चीनी कलाकृतियां है। यह एक पॉलिश किया हुआ कांस्य दर्पण है, जिसके पीछे एक आकार बना हुआ है, चीन में इसे t’ou kuang ching कहा जाता है। हालांकि, अंग्रेजी में इन्हें ‘लाइट ट्रांसमिटिंग मिरर’ या ‘मैजिकल मिरर’ नामों से जाना जाता है। इन दर्पणों के पीछे का साइंस किसी जादू से कम नहीं है, इसलिए आपको भी इसके बारे में जरूर जानना चाहिए।

कैसा होता है ये दर्पण?

चीन के इन जादुई दर्पणों की डिजाइन बड़ी ही अद्भुत होती है। ये कांसे के दर्पण होते हैं, जिनके सामने का भाग पॉलिशदार होता है और पीछे की तरफ कांसे से बना डिजाइन होता है। पॉलिश की गई सतह सामान्य दिखाई देती है और इसे नियमित दर्पण के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इन दर्पणों का जादू तब सामने आता है, जब दर्पण के चमकदार हिस्से पर रोशनी डाली जाती है और परावर्तित प्रकाश को किसी सतह पर डाला जाता है, तो मिरर के पिछले हिस्से को सजाने के लिए बनाया गया पैटर्न रहस्यमयी तरीके से उस सतह पर दिखाई पड़ता है।जैसे मानों कि ठोस कांस्य दर्पण पारदर्शी हो गया हो।

जादुई दर्पण बनाने की कला का पता हान राजवंश से लगाया जा सकता है। (Wikimedia Commons)

कब बनाए गए थे ये दर्पण?

माना जाता है की जादुई दर्पण बनाने की कला का पता हान राजवंश से लगाया जा सकता है। इनको बनाए जाने के रहस्य कम से कम 8वीं और 9वीं तक बचा रहा, क्योंकि रिकॉर्ड्स ऑफ अन्सिएंट मिरर्स नामक एक किताब थी, जिसमें इन दर्पणों को बनाए जाने का सीक्रेट लिखा हुआ था। अब यह किताब खो गई है।

इन दर्पणों के पीछे का विज्ञान

पहला, दर्पण की सतह (चमकदार) पर उसके पिछले हिस्से के पैर्टन की सुक्ष्म रेखाएं होती हैं, जिन पर प्रकाश पड़ने पर पिछली डिजाइन सतह पर प्रतिबिंबित होती है और उसकी छवि बनती हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि कास्टिंग और पॉलिशिंग विधियों के संयोजन के कारण ये सुक्ष्म रेखाएं बनती हैं। दूसरा, एक अन्य सिद्धांत यह है कि, दर्पण को पॉलिश करने के बाद इसे गर्म किया जाता है जिससे पतली परतें फैलती हैं और थोड़ा उत्तल हो जाती हैं, जिससे इन क्षेत्रों में परावर्तित प्रकाश बिखर जाता है और छवि बनती है। परिवर्तनों को स्थायी बनाने के लिए दर्पण को गर्म करने के बाद तुरंत पानी में ठंडा किया जाता है।

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह

जहां धरती के नीचे है खजाना, वहां ऊपर क्यों है गरीबी का राज? झारखंड की अनकही कहानी

'कैप्टन कूल' सिर्फ नाम नहीं, अब बनने जा रहा है ब्रांड!

धोखा, दर्द और हिम्मत : जीबी रोड (GB Road) से बचाई गई एक अफगान छात्रा की कहानी