आज से भारत (India) के कई हिस्सों में छठ का त्यौहार शुरू हो गया है। यह पर्व 31 अक्टूबर तक मनाया जायेगा। छठ पूजा (Chhath Puja) चार दिन तक चलती है और इस दौरान भक्त कई कठोर निया का पालन भी करते है। छठ मानाने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है और इसे लेकर कई पौराणिक कथाए प्रचलित है मान्यता यह भी है की त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी ये व्रत किया था।
सतयुग
एक पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में एक प्रियवद नाम के राजा थे जिनकी कोई संतान नहीं थी। संतान पाने के लिए उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया जिससे उनकी पत्नी गर्भवती हुई किन्तु बालक मृत पैदा हुआ। जब राजा अपने मृत पुत्र को समशान ले गए तभी वहां षष्ठी देवी प्रकट हुई और उन्होंने उस मृत बालक को गोद में लेकर उसे जीवित कर दिया। उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी। इसके बाद देवी ने राजा से कहा कि तुम मेरी पूजा करो और लोगो को भी प्रेरित करो।तभी से कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को षष्ठी देवी यानी छठी मैया की पूजा की परंपरा है।
त्रेता युग
माना जाता है की लंका विजय के बाद जब भगवान श्री राम (Shree Ram) और माता सीता अयोध्या आए तो माता सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी का उपवास किया और छठी मैया के साथ सूर्यदेव की भी आराधना की। तभी से छठ पूजा की परंपरा चली आ रही है।
द्वापर युग
प्रचलित कथा के अनुसार, द्वापर युग में वनवास के दौरान द्रोपदी (Draupadi) व् पांडव प्रतिदिन सूर्य पूजा करते थे। इस दौरान उन्होंने प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पूजा का व्रत भी किया। मान्यता यह भी है की इसी छठ पूजा के व्रत की वजह से पांडवो ने कौरवों को युद्ध में हरा दिया।
(RS)