Frost Flower : ठंड जब बढ़ने लगता है तब पानी जमने लगता है और जम कर बर्फ में तब्दील हो जाता है आज हम एक ऐसी ही फूल के बारे में आपको बताएंगे जो बर्फ के फूल की तरह दिखते है।असल में इन फूलों को फ्रॉस्ट फ्लावर, आइस फ्लावर या सी-आइस के नाम से जाना जाता है। ये फूल हर जगह नहीं उगते है इसलिए यह एक दुर्लभ फूल होते हैं। ये फूलों का व्यास 3 से 4 सेंटीमीटर होता हैं।आपको बता दें कि ये फूल गुच्छों में और कई बार पानी की सतह पर उगते है। कई बार गीली जमीन पर या ठंडे समुद्री किनारों के पास भी उगते है। बेहद कम तापमान होने के कारण इसमें पतले पतले परते बन जाती है। इन्हे आर्कटिक सागर और उसके आसपास के इलाकों में देखा गया है।
फ्रॉस्ट फ्लावर के कई रूप होते हैं जैसे नीडल आइस, फ्रॉस्ट पिलर्स, आइस रिबन्स, रैबिट फ्रॉस्ट या रैबिट आइस। इन फूलों में बर्फ की पतली परतें हवा के दबाव में कारण फूल जैसा रूप ले लेती हैं, तब इन्हें फ्रॉस्ट फ्लावर कहते हैं। इनके बनने प्रक्रिया तब शुरू होती है जब जमीन नहीं जमी होती लेकिन उसके ऊपर की हवा जम रही होती है। पानी जम रहा होता है और भाप या कोहरा जमने लगता है। ये ठंडी हवा के साथ जम जाते हैं। ऊपर से आने वाली भाप, नमी या कोहरा नई पत्तियां बनाता जाता है और इसके बाद यह फूल जैसा खिलता हुआ दिखाई देता है।
यदि समय की बात करे तब ये बर्फ कमल या बर्फ के फूल बेहद ठंडी जगहों पर सिर्फ सुबह या शाम के वक्त ही दिखते हैं। दिन में तापमान बढ़ने के कारण यह जल्दी ही पिघल जाते हैं परंतु जैसे ही रात आती है मौसम सही रहता है तो ये फिर से बन जाते है। खासतौर से ये तभी बनते हैं जब तापमान माइनस 8 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है।
समुद्री पानी में जब सल्फेट की मात्रा ज्यादा होती है। सबसे ज्यादा बेहतर स्थिति होती है और तापमान माइनस 22 डिग्री सेल्सियस होती है तब वहां यह फूल बनते हैं परंतु इसके लिए सतह पर मौजद बर्फ का तापमान बहुत कम नहीं होना चाहिए। वह ज्यादा होनी चाहिए और हवा का तापमान उसकी तुलना में कम होना चाहिए।