History of Gold: सोने का दाम दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। अच्छा मुनाफा कमाने के लिए लोग इसमें खूब इन्वेस्टमेंट भी कर रहे हैं। चाहे आज की बात हो या सालों पुरानी, सोने की अहमियत तब से है जब से वो इस धरती पर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती पर सोना कब और कहां से आया? आज हम आपको इसी से जुड़ी दिलचस्प कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं। इसके लिए आपको 5000 साल पीछे जाना होगा, हम उस समय की बात कर रहे हैं जब मिस्र के मजदूरों को सोने को भट्ठी में पिघलाकर ठंडा करने का काम मिला था। इस बात को आज 5000 साल हो चुके हैं जब मिस्र के कस्बी मजदूरों को सोने को भट्ठी में पिघलाकर ठंडा करने का जो काम मिला था, तब से लेकर अब तक इंसान करीब 1,25, 000 टन सोना धरती से निकाल चुका है।
आपको बता दें करीब 5000 साल पहले बड़े पैमाने पर मिस्र में खदानों से सोना हाथ लगा था। इसका आर्थिक महत्व और अर्थशास्त्र भी उस समय के लोग समझ गए थे। तब कोई सिक्कों का अस्तित्व नहीं था, नोट की तो बात ही छोड़ दो और तब सारा कारोबार सोने से चलता था। इस सोने के कारण कई सारे साम्राज्य बने और कई तबाह भी हो गए। एक दौर वो भी आया कि सम्राटों की लश्करी ताकत भी इस सोने पर ही निर्भर थी।
आज हम धरती पर जितना भी सोना देखते हैं, वह हमेशा से यहां नहीं था। ब्रह्मांड में कहीं पर भी गोल्ड सुपरनोवा न्यूक्लियो सिंथेसिस से बनता है। धरती पर जो गोल्ड पाया जाता है, वो अरबों साल पहले हुई उल्का वर्षा के कारण मिला है। माना जाता है कि धरती पर जितना भी सोना है, वो मरे हुए तारे से आया है। वहां से धरती के भूगर्भ में चला गया। धरती आज से करीब चार अरब साल पहले धीरे-धीरे ठंडी होने लगी थी और उसके साथ धरती पर जो भी धातुएं थीं, वो ठंडी होकर धरती की बाहरी परत के आसपास जमा हुई।
सोने की खदानों के मामले में हम पहले से कंगाल हैं। भारत के व्यापारी सदियों से मसाले, कपड़ा और कलाकृतियों को विदेशों में जाकर बेचा करते थे और उस वक्त यह जरूरी चीजें आज के पेट्रोल से भी ज्यादा जरूरी हुआ करती थी। इसी व्यापार के बदले भारत में सदियों से सोना और चांदी आता रहा है और ऐसे हम गोल्ड के प्रिजर्वर बन गए।भारत की आम जनता के पास बहुत सोना है। दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों के एक आंकड़े के अनुसार भारत के पास आज करीब 10000 टन से ज्यादा सोना है।