31 अक्टूबर यानी आज हेलोवीन डे यानी की भूत प्रेतों के दिन के रूप में मनाया जाता है। दरअसल ईसाई धर्म में 31 अक्टूबर को सेल्टिव कैलेंडर का आखिरी दिन माना जाता है और इसे अपने पूर्वजों की आत्मा को समर्पित किया जाता है। इसकी शुरुआत सबसे पहले दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल से हुई थी फिर यह अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीय देशों में भी फैल गया। इस दिन लोग डरावने कपड़े पहनते हैं भूतों की तरह तैयार होते हैं और कद्दू में डरावने चेहरे बनाकर इसमें मोमबत्ती जला कर रख देते हैं लेकिन कद्दू का इससे क्या कनेक्शन है इसके पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है तो चलिए आज हम आपको हेलोवीन डे से जुड़े इन किस्सों को बताते हैं।
आयरलैंड में सैकड़ो साल पहले हेलोवीन परंपरा में आयरिश खेतों से गुजरने वाली बुरी आत्माओं को डराने के लिए कद्दू को जैक को लालटेन में तराश कर लगा देते थे। मतलब यह हमारे यहां के खेतों में लगे पुतलो जैसे इस्तेमाल होता था इसमें कद्दू को काटकर डरावनी शक्ल बनाई जाती थी और उसमें लालटेन लगा दिया जाता था
इस उम्मीद में की डरावने चेहरे खेतों को बुरी आत्माओं से बचाएंगे। ऐसा माना जाता था कि हेलोवीन पर आत्माओं और हमारी दुनिया के बीच की सीमाएं आपस में जुड़ जाती हैं और इससे आयरिश आबादी डर जाती है। जब आयरिश अप्रवासी अमेरिका आए तो उन्होंने डरावने चेहरों को तराशने के लिए कद्दू की खोज की क्योंकि उन्हें तराशना आसान था और इस तरह उन्होंने जैक ओ लालटेन को औकेरना की परंपरा बनाते हुए त्योहार मनाना शुरू कर दिया।
तो हेलोवीन की कहानी दो दोस्तों से शुरू होती है एक का नाम था जैक और दूसरे का नाम था आइरिश। जग बहुत कंजूस था और आयरिश बहुत शैतान एक बार जैक ने आयरिश को शराब पिलाने का वादा करके घर बुलाया पर फिर शराब पिलाने से मना कर दिया।
फिर शराब के बदले आए शैतान को घर में लगे कद्दू को देने का वादा किया और अंत में फिर मना कर दिया और उसने जैक को डराने के लिए उसी के कद्दू को काटकर डरावनी शक्ल बनाई और इसमें जलते हुए कोयले डालकर उसके घर के बाहर लटका दिया इसके बाद से लोगों को सबक मिला कि अपना हर वादा पूरा करना चाहिए नहीं तो उसे व्यक्ति की आत्मा आपको याद दिलाने आएगी। और तब से लोग हेलोवीन डे मनाने लगे ताकि इसके जरिए लोगों तक यह खबर पहुंचाई जा सके कि अपने वादों को पूरा करना कितना इंपॉर्टेंट है