Indians living like Slaves in Britain: 2022 में ब्रिटेन में शुरू हुई एक नई योजना के तहत वहां बहुत से भारतीय गए थे।(Wikimedia Commons) 
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आज भी ब्रिटेन में गुलामों जैसा जीवन जी रहे हैं भारतीय, जानिए कैसे पहुंचें वे ब्रिटन

ब्रिटेन में गुलामों जैसा व्यवहार किया गया। 2022 में ब्रिटेन में शुरू हुई एक नई योजना के तहत वहां बहुत से भारतीय गए थे। ब्रिटेन ने अपने देश में बुजुर्गों और बच्चों की देखभाल करने वाले कर्मियों की भारी कमी को पूरा के लिए यह योजना शुरू की थी।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Indians living like Slaves in Britain: विदेश में जाकर काम करने का सपना लगभग सभी भारतीयों का होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं अपने लाखों रुपये खर्च कर विशेष वीजा बनवा कर नौकरी करने ब्रिटेन गए सैकड़ों भारतीयों की हालत अब बंधुआ मजदूरों जैसी हो गई है? आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के दर्दनाक अनुभव के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। भारत में मैनेजर के तौर पर काम कर रहीं माया ने जब ब्रिटेन में काम करने के मौके के बारे में सुना तो, बिना सोचे समझे वो विदेश में काम करने चली गई। यहां से ही शुरू हुआ एक बेहद दर्दनाक अनुभव और जो भारी कर्ज के साथ खत्म हुआ। आइए जानते हैं क्या हुआ माया के साथ।

माया ने अपना असली नाम उजागर न करने का शर्त रखा। माया दो बच्चों की मां है। उन्होंने बताया कि उनके साथ ब्रिटेन में गुलामों जैसा व्यवहार किया गया। 2022 में ब्रिटेन में शुरू हुई एक नई योजना के तहत वहां बहुत से भारतीय गए थे। ब्रिटेन ने अपने देश में बुजुर्गों और बच्चों की देखभाल करने वाले कर्मियों की भारी कमी को पूरा के लिए यह योजना शुरू की थी। माया ने बताया कि उन्होंने इस नौकरी के लिए भारत के एक एजेंट को बहुत बड़ी रकम दी थी। और ब्रिटेन पहुंचने पर बहुत कम तन्ख्वाह पर उनसे बहुत अधिक घंटों तक काम करवाया गया।

ब्रिटेन पहुंचने पर बहुत कम तन्ख्वाह पर उनसे बहुत अधिक घंटों तक काम करवाया गया।(Wikimedia Commons)

बंधुआ मजदूर जैसी जिंदगी

घरेलू कामकाज करने वाले लोगों की प्रतिनिधि संस्था होमकेयर एसोसिएशन की चीफ एग्जिक्यूटिव जेन टाउनसन ने बताया कि उद्योग जगत के लोग ऑपरेटर्स की अनैतिक गतिविधियों को लेकर बहुत चिंतित हैं। लोगों को कॉकरोच से भरे हुए घरों में रखा जा रहा है। कुछ मामलों में तो लोगों को ब्रिटेन में नौकरियों का झांसा देकर लाया गया लेकिन जब वे आए तो उन्हें पता चला कि यहां कोई नौकरी नहीं है। ऐसे लोग अब चैरिटी और फूडबैंक पर निर्भर हैं। बहुत से लोग कर्ज में बंधुआ जिंदगी जी रहे हैं क्योंकि यहां आने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ बेच दिया।

आधुनिक गुलामी

कर्मचारियों के शोषण के मामलों की जांच करने वाली सरकारी संस्था गैंगमास्टर्स एंड लेबर अब्यूज अथॉरिटी ने बताया है कि पिछले वर्ष देखभाल उपलब्ध कराने वाली 44 कंपनियों की जांच की गई है, जो 2022 के मुकाबले दोगुना है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां पीड़ितों की संख्या ज्यादा हो सकती है क्योंकि बहुत से लोग तो डर से रिपोर्ट ही नहीं करते हैं। बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता है कि उन्हें मदद कहां से मिलेगी।

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