Kazakhstan bans Hijabs in schools : अगर कोई छात्रा हिजाब पहनकर स्कूल आती है तो उसके माता-पिता को सजा के रूप में जुर्माना देना पड़ता है। (Wikimedia Commons) 
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वो मुस्लिम बहुल देश जहां स्कूलों में हिजाब पहनने पर है पाबंदी, मिलती है कड़ी सजा

भारत का एक पड़ोसी मुस्लिम देश है, जहां स्कूलों में हिजाब बैन है अगर वहां गलती से कोई छात्रा हिजाब पहन कर स्कूल चली गई तो उसे कड़ी सजा मिलती है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Kazakhstan bans Hijabs in schools : भारत में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब को लेकर लंबे समय से बहस चलती आ रही है कुछ राज्यों ने जब स्कूल-कॉलेज में हिजाब बैन किया तो मामला कोर्ट तक भी पहुंच गया लेकिन क्या आप जानते है कि भारत का एक पड़ोसी मुस्लिम देश है, जहां स्कूलों में हिजाब बैन है अगर वहां गलती से कोई छात्रा हिजाब पहन कर स्कूल चली गई तो उसे कड़ी सजा मिलती है।

दरहसल, हम बात कर रहे है भारत के पड़ोसी मुल्क कजाखस्तान की, जिसे कजाखिस्तान या कजाकिस्तान भी कहा जाता है। यहां की आधे से अधिक आबादी मुस्लिम है। कजाखस्तान की बहुसंख्यक आबादी मुसलमान होने के बाद भी संवैधानिक तौर पर वह एक धर्मनिरपेक्ष देश है। कजाखस्तान के राष्ट्रपति कासम जोमार्त टोकायेव खुद इस्लाम धर्म का पालन करते हैं।

इस्लाम बहुल देश होने के बाद भी है धर्मनिरपेक्ष

साल 2022 की जनगणना के अनुसार कज़ाख़स्तान में 70 फ़ीसदी लोग मुसलमान हैं। हालांकि, कई अन्य अध्ययन और शोध की माने तो कज़ाख़स्तान में एक तिहाई ही ऐसे लोग हैं जो धर्म का कड़ाई से पालन करते हैं। राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव खुलकर इस्लाम को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाते आए हैं। वह साल 2022 में मुस्लिमों के सबसे पवित्र धर्मस्थल मक्का गए थे और उन्होंने पिछले साल रमज़ान में अपने घर पर सरकारी अधिकारियों और चर्चित हस्तियों के लिए इफ़्तार का भी आयोजन किया था परंतु संवैधानिक तौर पर कज़ाख़स्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है।

सरकार के मुताबिक स्कूल एक शैक्षणिक संस्थान है, ऐसे में शिक्षा महत्वपूर्ण है ना कि धार्मिक प्रतीक चिन्ह। (Wikimedia Commons)

हिजाब बैन करने का कारण क्या है?

साल 2016 के आदेश में स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध का ऐलान किया गया था। आदेश के उल्लंघन पर जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया। अगर कोई छात्रा हिजाब पहनकर स्कूल आती है तो उसके माता-पिता को सजा के रूप में जुर्माना देना पड़ता है। सजा के तौर पर उन्हें पहली बार 10 कजाखिस्तानी टेंगे देने पड़ेंगे। अगर गलती दोहराई तो जुर्माना बढ़ सकता है। इसके अलावा भी वहा प्रशासनिक सजा का भी प्रावधान है।

सरकार के मुताबिक स्कूल एक शैक्षणिक संस्थान है, ऐसे में शिक्षा महत्वपूर्ण है ना कि धार्मिक प्रतीक चिन्ह। सरकार का कहना है बच्चे बड़े होने के बाद खुद अपनी ड्रेस पर फैसला ले सकते हैं। आपको बता दें कि कजाकिस्तान में ही मौजूद एक समूह सरकार के इस फैसले का विरोध भी करता रहा है और आए दिन प्रदर्शन करता रहता है। वहा पढ़ने वाली तमाम लड़कियों ने स्कूल से नाम भी कटवा लिया है।

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