Kinnar Rituals: हिंदू मान्यता के अनुसार, विवाहित महिला द्वारा मांग में सिंदूर भरने का रिवाज है, क्योंकि सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया कि किन्नर समाज भी अपनी मांग में सुंदर लगाते हैं। ऐसे में आपने कभी न कभी तो जरूर सोचा होगा कि वे यह सिंदूर किसके लिए लगाते है? या वो केवल श्रृंगार के लिए सिंदूर लगाते हैं? आज हम आपके इन्हीं सवालों का जवाब लेकर आए हैं, आज हम आपको इसके पीछे मिलने वाली पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे।
पौराणिक कथा के अनुसार, अरावन जो अर्जुन और अनकी पत्नी नाग कन्या उलूपी की संतान हैं। महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने युद्ध में विजय के लिए मां काली की पूजा की थी। इस पूजा को सम्पन्न करने के लिए एक राजकुमार की बलि जरूरी थी। तब अरावन बलि देने के लिए तैयार हो गए, लेकिन उनकी एक शर्त थी कि वह अविवाह नहीं मरना चाहते।
तब भगवान श्री कृष्ण ने इस समस्या का समाधान निकाला। उन्होंने अरावन की इच्छा पूर्ति के लिए मोहिनी रूप धारण किया और अरावन से विवाह किया। अगले दिन अरावन की बलि दे दी गई, जिसपर श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप भी किया। उसी घटना के बाद से किन्नर अरावन को अपना भगवान मानने लगें और इस परम्परा को कायम रखा।
किन्नर समाज अरावन देवता से विवाह करते हैं और विधवा बनने के बाद भी किन्नर अपनी मांग भरते हैं। दरअसल, किन्नर समाज में गुरु को बहुत ही महत्व दिया जाता है। ऐसे में किन्नर द्वारा अपने गुरु की लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाया जाता है। माना जाता है कि किन्नर जिस घराने में शामिल होते हैं, उस घराने के गुरु के लिए अपनी मांग में सिंदूर लगाते हैं। जब तक किन्नर के गुरु जीवित रहते हैं, तब तक वह मांग में उनके नाम का सिंदूर अपनी मांग में सजाते हैं।