जस्टिस अरविंद कुमार (Justice Arvind Kumar) और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने अमृतपाल को पंजाब (Punjab) एंड हरियाणा (Haryana) हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा कि याचिका पर छह सप्ताह के भीतर सुनवाई पूरी कर निपटारा किया जाए।
अमृतपाल सिंह (Amrit pal Singh) वर्तमान में असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि एक निर्वाचित सांसद का कामकाज रोकना उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि एनएसए के तहत उनकी हिरासत राजनीतिक रूप से प्रेरित है और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है। याचिका में केंद्र और पंजाब सरकार को पक्षकार बनाया गया था।
मार्च 2023 को पंजाब पुलिस (Punjab Police) ने अमृतपाल और उनके नौ सहयोगियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें एनएसए के तहत डिब्रूगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया। अमृतपाल पर खालिस्तान (Khalistan) समर्थन, राज्य के खिलाफ युद्ध भड़काने और रेडिकल विचारधारा फैलाने के आरोप हैं। वे 'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब से जीतकर सांसद बने थे।
अमृतपाल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में तर्क दिया कि एक सांसद के रूप में उन्हें संसद सत्र में भाग लेने का अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 84 के तहत सांसद बनने की योग्यता पर भी बहस हुई, लेकिन कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद मामला हाईकोर्ट भेज दिया। इससे पहले जुलाई 2024 में अमृतपाल ने हाईकोर्ट में एनएसए हिरासत रद्द करने की याचिका दायर की थी, लेकिन वहां भी सुनवाई लंबित है।
हाल ही में डिब्रूगढ़ जेल के सुपरिंटेंडेंट निपेन दास को अमृतपाल को अनधिकृत गैजेट्स उपलब्ध कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। असम पुलिस का कहना है कि इन उपकरणों से अमृतपाल जेल से ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर अपनी पहुंच बढ़ा रहे थे, जो एनएसए नियमों का उल्लंघन था।
(BA)