National Sweet of India: भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी इस मिठाई की जबरदस्त मांग है। (Wikimedia Commons) 
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भारतीय नहीं बल्कि विदेशी मिठाई को बनाया गया भारत की राष्ट्रीय मिठाई

ईरान में इस मिठाई को जुलाबिया या जुलुबिया नाम से जाना जाता था। जलेबी के इतिहास पर कहा जाता है कि 500 साल पहले तुर्की आक्रमणकारियों के कारण जलेबी भारत में पहुंची और यहां भी इसे खूब पसंद किया जाने लगा।

न्यूज़ग्राम डेस्क

National Sweet of India: शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो भारत में रह कर मिठाइयों का स्वाद न चखा हो। इन मिठाइयों में यदि भारत की सबसे लोकप्रिय मिठाई की बात की जाए, तो वो जलेबी है, जो ज्यादातर राज्यों में मिल ही जाती है और तो और भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी इस मिठाई की जबरदस्त मांग है। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इस मिठाई को भारत की राष्ट्रीय मिठाई भी कहा जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जलेबी की खोज भारत में नहीं हुई थी, जी हां! ये बात एकदम सच है, तो आइए जानते हैं कि कैसे जलेबी हमारी राष्ट्रीय मिठाई बनी।

कहां से आई जलेबी?

जलेबी भारतीय नहीं बल्कि एक विदेशी मिठाई है। आपको बता दें कि जलेबी की खोज ईरान में हुई थी। ईरान में इस मिठाई को जुलाबिया या जुलुबिया नाम से जाना जाता था।

ईरान में इस मिठाई को जुलाबिया या जुलुबिया नाम से जाना जाता था। (Wikimedia Commons)

जलेबी के इतिहास पर कहा जाता है कि 500 साल पहले तुर्की आक्रमणकारियों की वजह से जलेबी भारत पहुंची और यहां भी इसे खूब पसंद किया जाने लगा। जलेबी अरबी मूल का शब्द है। इसका जिक्र आपको मध्यकालीन किताब 'किताब-अल-तबीक' में मिल जाएगा, जहां इसे 'जलाबिया' नामक मिठाई के नाम से कहा जाता है।

लगभग सभी राज्यों में मिलती है जलेबी

आज आपको दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत भारत के अन्य राज्यों में भी जलेबी मिल जाएगी। कई जगहों पर लोग जलेबी को पनीर या खोया के साथ खाना पसंद करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग इस मिठाई को दही के साथ भी बड़े चाव से खाते हैं। बारिश और सर्दी में भी जलेबी को नाश्ते के तौर पर काफी पसंद किया जाता है। इसी से मिलती-जुलती एक मिठाई है जिसे बाजारों में इमरती कहा जाता है। कई मामलों में इमरती का स्वाद और बनाने का तरीका जलेबी से मेल खाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिलेबी का उल्लेख कई प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में भी मिलता है, लेकिन अभी तक इसकी पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं हुई है।

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