Nauchandi fair, Meerut : मेरठ का नौचंदी मेला हिंदू - मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है। वर्षों से चलती आ रही परंपरा को निभाने के लिए 7 अप्रैल 2024 को ऐतिहासिक नौचंदी मेले का उद्घाटन किया गया। (Wikimedia Commons) 
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एक तरफ भजन तो दूसरी तरफ मजार पर चढ़ते हैं चादर, हिंदू -मुस्लिम भाईचारा का प्रतीक है नौचंदी मेला

इस मेले के शुभारंभ के अवसर पर मां चंडी देवी के मंदिर में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और दूसरी तरफ मंदिर परिसर के सामने ही मियां की मजार पर भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा चादर चढ़ाई जाती है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Nauchandi fair, Meerut : भारत में हमेशा से ही धार्मिक दंगे करवाने के लिए हिंदू- मुस्लिम में फूट डाली जाती हैं लेकिन इसके बावजूद भी मेरठ का नौचंदी मेला हिंदू - मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है। सैकड़ो वर्षों से चलती आ रही इस परंपरा को निभाने के लिए 7 अप्रैल 2024 को विधि-विधान के साथ ऐतिहासिक नौचंदी मेले का उद्घाटन किया गया। दरअसल, अब की बार प्रांतीय मेले को लगाने की जिम्मेदारी जिला पंचायत को दी गई थी।जिला पंचायत की एएमए भारती धामा ने बताया कि जिस तरह हर वर्ष मेरठ मंडल आयुक्त द्वारा भगवान श्री गणेश मंदिर के समीप पूजा अर्चना करते हुए फीता काटकर मेले का उद्घाटन किया जाता था तथा उसके बाद नवचंडी देवी मंदिर वाले मियां की मजार पर भी जिन परंपराओं को निभाया जाता था, ठीक उसी प्रकार इस बार भी उन परंपराओं को निभाया गया। इस बार मेले को और भव्य तौर पर आयोजित किया गया।

सैकड़ो वर्षों से चलती आ रही है ये परंपरा

सैकड़ो वर्षों से नौचंदी मेले की यह परंपरा चलती आ रही है। इस मेले के लिए होली के बाद जो भी दूसरा रविवार होता है, उसमें नौचंदी मेले का उद्घाटन किया जाता है। इस मेले के शुभारंभ के अवसर पर मां चंडी देवी के मंदिर में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और दूसरी तरफ मंदिर परिसर के सामने ही मियां की मजार पर भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा चादर चढ़ाई जाती है।

यहां मेले के दौरान ही मंदिर के घण्टों के साथ अज़ान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। (Wikimedia Commons)

क्यों खास है ये मेला

यह मेला उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों में से एक माना जाता है। नौचंदी मेला मेरठ में प्रति वर्ष लगता है। यहां का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू - मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं। जहाँ मंदिर में भजन कीर्तन होते रहते हैं वहीं दरगाह पर कव्वाली आदि होती रहती है। यहां मेले के दौरान ही मंदिर के घण्टों के साथ अज़ान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है, यह प्रतिध्वनि हमे मिल बाट कर रहने का संदेश देती है। आपको बता दें कि यह मेला केवल रात में ही लगता है दिन में यहां आपको केवल खाली मैदान नज़र आएंगे।

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