चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी पृथ्वी की तुलना में खास तरह की दूरी और संबंध अन्य ग्रहों और उनके उपग्रहों की तुलना में बहुत ही अनोखा बना देते हैं। सामान्य तौर पर देखा जाए तो चंद्रमा में ऐसे हालात नहीं है जिससे यहां बर्फ की उपस्थिति हो या यहां बर्फ है फिर भी कुछ स्थितियां ऐसी भी हैं जो कहती हैं कि यहां बर्फ हो सकती है। ऐसे में अब कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी में खगोलभौतिकी और ग्रह विज्ञान के सहायक प्रोफेसर पॉल हेने ने कहा, 'मेरे जैसे ग्रह वैज्ञानिकों के लिए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के यंत्रों से मिली जानकारी चंद्रमा के उस हिस्से की झलक देते हैं, जिसमें बर्फ होने की सबसे ज्यादा संभावना है।'
चांद का दक्षिणी ध्रुव क़रीब ढाई हज़ार किलोमीटर चौड़ा और ये आठ किलोमीटर गहरा गड्ढे के किनारे स्थित है जिसे सौरमंडल का सबसे पुराना इंपैक्ट क्रेटर माना जाता है। इंपैक्ट क्रेटर से आशय किसी ग्रह या उपग्रह में हुए उन गड्ढों से है जो किसी बड़े उल्का पिंड या ग्रहों की टक्करों से बनता है। इन्ही गढ़ों में बर्फ होने की ज्यादा संभावना है। हर घटना के पीछे एक विशिष्ट रसायन है। इसलिए अगर हम उन सब को देख सकें तो पानी के स्रोत का पता चल सकता है। उदाहरण के लिए अगर चंद्रमा पर बर्फ ज्वालामुखीय गतिविधियों से बनी तो बर्फ में जमा सल्फर अधिक मात्रा में होने की उम्मीद है।
हमारा विक्रम लैंडर चंद्रमा पर खोजा सल्फर । पानी की तरह चंद्रमा पर सल्फर एक अस्थिर तत्व है क्योंकि चंद्रमा की सतह पर यह आसानी से गर्म से वाष्पीकृत हो जाता है। यही कारण है कि इसके चंद्रमा के सिर्फ ठंडे हिस्से में जमा होने की उम्मीद है। विक्रम लैंडर ने 69.37 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर मिट्टी के दानों में सल्फर की पहचान की थी। वैज्ञानिक इस डेटा से उत्साहित है। उनका मानना है कि सल्फर चंद्रमा में पानी के स्त्रोत की जानकारी दे सकता है।