भारत सरकार ने देश में बढ़ते साइबर अपराध, फोन चोरी और फर्जी IMEI के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। अब हर नए स्मार्टफोन में सरकार की साइबर सिक्योरिटी ऐप जिसका नाम है ‘संचार साथी’ यह ऐप पहले से इंस्टॉल होगी। यह ऐप फोन की सुरक्षा, ट्रैकिंग, स्कैम को रोकथाम और IMEI वेरिफिकेशन का काम करेगी। आपको बता दें सरकार का लक्ष्य है कि मोबाइल फ्रॉड, फर्जी सिम और चोरी के फोन वाले नेटवर्क को पूरी तरह तोड़ा जाए।
सरकार ने सभी बड़ी मोबाइल कंपनियों जैसे एप्पल (Apple), सैमसंग (Samsung), वीवो (Vivo), ओप्पो (Oppo) को आदेश दिया है कि अगले 90 दिनों में अपने नए फोन में यह ऐप प्री-इंस्टॉल करके बेचें। यूज़र्स इस ऐप को न तो डिसेबल कर सकेंगे और न ही डिलीट कर पाएंगे। पुराने फोन में भी आने वाले सॉफ्टवेयर अपडेट के साथ यह ऐप जोड़ दी जाएगी। इस आदेश को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, बल्कि निजी रूप से कंपनियों को इसकी जानकारी दी गई है। आपको बता दें सरकार का मकसद है कि फोन खोने, चोरी होने, IMEI बदलने और फ्रॉड कॉल जैसे साइबर अपराधों को शुरुआत से ही खत्म किया जाए।
संचार साथी (Sanchar Saathi) एक सरकारी साइबर सिक्योरिटी टूल है जो 17 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ था। यह ऐप फोन की सुरक्षा से लेकर स्कैम के रोकथाम तक कई अहम काम करता है। इसमें तीन मुख्य फीचर हैं, पहला है IMEI चेक और फोन ब्लॉकिंग - चोरी हुआ मोबाइल IMEI डालते ही ब्लॉक हो जाएग। दूसरा है फ्रॉड रिपोर्टिंग - कॉल, मैसेज और व्हाट्सऐप स्कैम रिपोर्ट करने का आसान विकल्प है । तीसरा है कनेक्शन चेक - आपके नाम पर चल रहे सभी मोबाइल नंबर देखने की सुविधा। सरकार का दावा है कि इस ऐप की मदद से अब तक 7 लाख से ज्यादा चोरी या गुम हुए फोन वापस मिल चुके हैं। दूरसंचार विभाग के अनुसार सितंबर तक 22.76 लाख फर्जी IMEI वाले डिवाइस पकड़े जा चुके थे।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट है, लेकिन फर्जी या क्लोन IMEI नंबरों के कारण यहां अपराधियों को बहुत फायदा मिलता है। IMEI फोन की एक यूनिक पहचान होती है, लेकिन अपराधी इसे बदलकर चोरी के फोन को ब्लैक मार्केट में बेच देते हैं, उसके बाद फ्रॉड कॉल करते हैं, और वह पुलिस की ट्रैकिंग से बच जाते हैं। संचार साथी डिफॉल्ट होने से यह पूरा सिस्टम टूट जाएगा। क्योंकि अगर आप फोन पर किसी दोस्त से बात कर रहे हैं और आपका इंटरनेट काम करना बंद कर देता है। तो आप दोनों बात नहीं कर पाएंगे। उसी तरह सिस्टम में अगर संचार साथी (Sanchar Saathi) काम नहीं करेगा, तो सिस्टम के हिस्से आपस में बात नहीं कर पाएंगे और सिस्टम बंद जैसा हो जाएगा। उसके बाद जब फोन चालू होगा तो उसकी असली पहचान सामने आ जाएगी।
एप्पल Apple की पॉलिसी के मुताबिक, वह किसी सरकारी या थर्ड-पार्टी ऐप को अपने डिवाइस में प्री-इंस्टॉल नहीं करता है। पहले भी एंटी-स्पैम ऐप को लेकर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) और एप्पल (Apple) के बीच विवाद हो चुका है। इसलिए माना जा रहा है कि एप्पल (Apple) कंपनी सरकार से बातचीत करेगा या यूज़र्स को ‘अनिवार्य इंस्टॉल’ वाला विकल्प देने का सुझाव दे सकता है। हालांकि अभी तक किसी कंपनी की ओर से कोई नियमित प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस फैसले से मोबाइल यूज़र्स को कई बड़े फायदे मिलेंगें जैसे चोरी का फोन तुरंत ब्लॉक और ट्रेस हो जाएगा, और इससे फर्जी नंबरों की पहचान होगा, इसके बाद फ्रॉड कॉल और मैसेज से सुरक्षा मिलेगा। इसके बाद स्कैम में भारी कमी होगी और पुलिस को ट्रैकिंग में बड़ी मदद मिल पाएगी। हालांकि प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स का मानना है कि यह ऐप डिलीट न कर पाने से यूज़र्स का कंट्रोल कम हो सकता है।
संचार साथी (Sanchar Saathi) के साथ सरकार अब भारत के स्वदेशी GPS सिस्टम 'नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन' (NavIC) को भी फोन में अनिवार्य बनाने की तैयारी कर रही है। अभी अधिकतर मोबाइल अमेरिकी GPS पर निर्भर हैं। आपको बता दें 'नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन' (NavIC) डिफॉल्ट होने से लोकेशन डेटा भारत के अंदर सुरक्षित रहेगा, और इससे सेना, पुलिस और आपदा एजेंसियों को बेहतर ट्रैकिंग मिल पाएगी, इसके बाद ड्रोन, डिलीवरी और मैपिंग तकनीक और भी सटीक होगी, और देश की डिजिटल संप्रभुता मजबूत होगी।
अगर संचार साथी (Sanchar Saathi) और 'नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन' (NavIC) दोनों को फोन में अनिवार्य किया गया, तो भारत में मोबाइल सुरक्षा पूरी तरह बदल जाएगी। चोरी के फोन, फर्जी IMEI, स्कैम कॉल और विदेशी GPS पर निर्भरता इन सब पर एक साथ रोक लग जाएगी। इससे कुछ चुनौतियां जरूर होंगी जैसे कंपनियों का विरोध, फोन की कीमत बढ़ना और प्राइवेसी से जुड़े सवाल यह सब हो सकता है। लेकिन यह भी सच है कि ये बदलाव अब देश की डिजिटल सुरक्षा के लिए जरूरी और समय की मांग बन गई है। अब सबसे बड़ी बात यह है की भारत एक नई डिजिटल सुरक्षा क्रांति की ओर बढ़ रहा है। [Rh/PS]