ISRO New Mission Indian Space Station : भारत अंतरिक्ष में अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला चौथा देश बनने जा रहा है।(Wikimedia Commons) 
विज्ञान

अंतरिक्ष में होगा भारत का अपना स्पेस स्टेशन, 2035 तक हो जाएगा बन कर तैयार

भारतीय स्पेस स्टेशन में दो से चार अंतरिक्ष यात्री रह सकेंगे। बता दें कि सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ने ही स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में भेजे हैं। भारत अंतरिक्ष में अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला चौथा देश बनने जा रहा है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

ISRO New Mission Indian Space Station: चंद्रयान और सूर्ययान की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक नए मिशन पर काम करना शुरू कर दिया है। जिसका नाम है इंडियन स्पेस स्टेशन। अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने तय किया है की 2035 तक अंतरिक्ष में पृथ्वी की निचली कक्षा में इंडियन स्पेस स्टेशन को स्थापित कर दिया जाएगा। इसरो ने अंतरिक्ष स्टेशन के लिए टेक्नोलॉजी डेवलेप करना शुरू कर दिया है। भारतीय स्पेस स्टेशन में दो से चार अंतरिक्ष यात्री रह सकेंगे। बता दें कि सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ने ही स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में भेजे हैं। भारत अंतरिक्ष में अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला चौथा देश बनने जा रहा है।

भारत के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे खगोल विज्ञान प्रयोगों सहित अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी इस्तेमाल करेंगे और चंद्रमा की सतह पर जीवन की संभावना का पता लगाने के लिए इस स्पेस स्टेशन का उपयोग करेंगे। इसरो के मुताबिक, अंतरिक्ष स्टेशन का वजन लगभग 20 टन हो सकता है। यह ठोस संरचनाओं से बना होगा, लेकिन इसमें इन्फ्लेटेबल मॉड्यूल भी जोड़े जा सकते हैं।पूरा होने के बाद स्पेस स्टेशन का कुल वजन लगभग 400 टन तक जा सकता है।

भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन का एक छोर क्रू मॉड्यूल और रॉकेट के लिए डॉकिंग पोर्ट होगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा(Wikimedia Commons)

कैसा होगा हमारा स्पेस स्टेशन

भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन का एक छोर क्रू मॉड्यूल और रॉकेट के लिए डॉकिंग पोर्ट होगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा। भारत इसके लिए 21 वीं सदी का एक विशेष डॉकिंग पोर्ट विकसित कर रहा है और यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के डॉकिंग पोर्ट के समान हो सकता है। एक बार पूरा होने पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में चार अलग-अलग मॉड्यूल और चार जोड़े सौर पैनल हो सकते हैं। स्पेस स्टेशन में ऑक्सीजन उत्पन्न करने और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने और उपयुक्त आर्द्रता को आर्दश स्तर पर रखने की सारी सुविधाएं है।

क्या है इसका फायदा

स्पेस स्टेशन से हम अलग-अलग ग्रहों पर मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री डेटा और सैंपल इस सेंटर तक पहुंचाएंगे और वहीं रिसर्च करके वैज्ञानिक रिजल्ट पता लगा लेंगे। जिससे धरती पर रहने वाले लोगों का फायदा होगा। अभी तक अंतरिक्ष से डेटा और सैंपल धरती पर लाया जाता है और इसरो की लैब में रिसर्च होती है, लेकिन अकसर डेटा-सैंपल किन्हीं कारणों से धरती तक नहीं पहुंच पाते, इन्हीं सब कारणों से स्पेस स्टेशन की जरूरत महसूस हुई।

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