Naughty Boy Rocket ISRO : इसके जरिए तूफान जैसी चरम मौसम की घटनाओं का पता लगा लिया जाएगा। (Wikimedia Commons) 
विज्ञान

एक्सपोसैट मिशन के बाद इसरो ने लॉन्च किया 'नॉटी बॉय रॉकेट', क्या है इसका उद्देश्य?

1 जनवरी को पीएसएलवी-सी58/ एक्सपोसैट मिशन के सफलता के बाद अब इस साल में इसरो का यह दूसरा मिशन है। इस उपग्रह का भार 2,274 किलोग्राम है और इस उपग्रह को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Naughty Boy Rocket ISRO : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन आज मौसम की सटीक जानकारी देना वाला सैटेलाइट लॉन्च किया।16वें मिशन के तहत प्रक्षेपण या जीएसएलवी-एफ14 की उड़ान शनिवार शाम 5.35 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से निर्धारित किया गया था। लॉन्चिंग को इसरो के सोशल मीडिया हैंडल्स जैसे यूट्यूब, फेसबुक पर देखा गया। इसके अलावा यह दूरदर्शन पर भी लॉन्चिंग दिखाई गई। इनसैट-3 डीएस उपग्रह भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम विज्ञान उपग्रह का अनुवर्ती मिशन है, और यह पूरी तरह से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है।

1 जनवरी को पीएसएलवी-सी58/ एक्सपोसैट मिशन के सफलता के बाद अब इस साल में इसरो का यह दूसरा मिशन है। इस उपग्रह का भार 2,274 किलोग्राम है और इस उपग्रह को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों-भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केंद्र की सहायता करेगा।

इसे ' नॉटी बॉय ' क्यों नाम दिया गया?

GSLV F14 अंतरिक्ष यान अपने 16वें मिशन पर रवाना होगा क्योंकि यह INSAT-3DS मौसम उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाएगा। इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष द्वारा इस अंतरिक्ष यान को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में नॉटी बॉय का नाम दिया गया है। इसका खास वजह यह है कि जीएसएलवी ने अतीत में डिलीवरी करते समय कई बाधाओं का सामना किया है और इसकी विफलता दर 40 प्रतिशत है। जीएसएलवी एफ14 को अब तक अपने कुल 15 अंतरिक्ष अभियानों में से 6 में समस्याओं का सामना करना पड़ा है।

इस उपग्रह का भार 2,274 किलोग्राम है और इस उपग्रह को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है। (Wikimedia Commons)

इस मिशन का उद्देश्य क्या है?

इसरो द्वारा बताया गया है की यह पृथ्वी की सतह की निगरानी करेगा, मौसम संबंधी महत्व के विभिन्न वर्णक्रमीय चैनलों में समुद्री अवलोकन करेगा, तथा वायुमंडल के विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफ़ाइल प्रदान करेगा यानी यह जमीन और समुद्र दोनों जगहों पर अडवांस्ड मौसम की जानकारी दे पाएगी। इसके जरिए तूफान जैसी चरम मौसम की घटनाओं का पता लगा लिया जाएगा। इसके अलावा जंगल की आग, बर्फ का कवर, धुआं और बदलते जलवायु के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

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