IIT MADRAS -हाईपरलूप कॉन्‍सेप्‍ट (wikimedia commons)
IIT MADRAS -हाईपरलूप कॉन्‍सेप्‍ट (wikimedia commons) 
टेक्नोलॉजी

IIT MADRAS के छात्रों ने बनाई ऐसी ट्रेन जिससे अब 2 घंटे में ही पहुंच सकते है दिल्ली से मुंबई

न्यूज़ग्राम डेस्क

बचपन में हम सभी ने doreamon cartoon में anywhere door जैसे गैजेट्स को देखा है और उसे देख कर हम सभी ने कभी न कभी ये सपना देखा है की अगर ऐसा सचमुच होता तो हम किसी भी वक्त कहीं भी जा सकते लेकिन आज लगता है शायद हमारे बचपन का ये सपना एक दिन जल्द पूरा होजाएगा । IIT MADRAS ( आईआईटी मद्रास) छात्रों ने भविष्‍य की ऐसी ट्रेन का प्रोटोटाइप तैयार किया है, जो दिल्‍ली से मुंबई की दूरी महज 2 घंटे में तय कर लेगी। ये छात्र कई साल से इस प्रोटोटाइप पर काम कर रहे थे और आखिरकार उन्‍हें सफलता मिल ही गई।इस उपलब्धि पर वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरी टीम को बधाई दी है. उन्‍होंने ट्वीट किया- ‘बधाई! शानदार. आपकी भविष्‍य की सफलताओं की कामना करती हूं।

Hyperloop Fields - दो डेस्टिनेशन के बीच पाइप के आकार का ट्रैक बनाया जाएगा ।(wikimedia commons)

कैसे काम करती है हाईपरलूप तकनीक

हाईपरलूप कॉन्‍सेप्‍ट के तहत यात्रियों को एक ट्यूब के जरिये सफर कराया जाता है, जो आर्टिफिशियल वैक्‍यूम की मदद से ट्रैवल करेगी। दो डेस्टिनेशन के बीच पाइप के आकार का ट्रैक बनाया जाएगा, जिसमें वैक्‍यूम क्रिएट करके ट्यूब को तेजी से ट्रैवल कराया जाएगा। हवाओं के कारण फ्रिक्शन होता है जिसके वजह से स्पीड कम हो जाती है यदि वैक्यूम में ट्रैवल करेगी तो हाई स्‍पीड पर भी किसी तरह का झटका महसूस नहीं होगा। आईआईटी मद्रास के छात्रों ने जो प्रोटोटाइप तैयार किया है, वह 350 किलोमीटर की दूरी महज 30 मिनट में तय कर सकता है। इसका मतलब है कि इस प्रोटोटाइप की टॉप स्‍पीड 700 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यानी दिल्‍ली से मुंबई की 1,405 किलोमीटर की दूरी महज 2 घंटे में तय हो जाएगी। साथ ही ट्रैक पर चुमकीय तकनीक का इस्तेमाल होगा जिससे ट्रेन का व्हील और ट्रैक दोनो नॉर्थ पोल होंगे जिससे वहा भी होने वाले फ्रिक्शन कम होजाएगा ।

ट्रैक पर चुमकीय तकनीक का इस्तेमाल होगा । (wikimedia commons)

रेलवे ने की आर्थिक सहायता

पिछले साल रेल मंत्रालय ने इस प्रोजेक्‍ट पर काम कर रही आईआईटी मद्रास की टीम को बड़ी सहायता उपलब्‍ध कराई थी। हाईपरलूप तकनीक पर काम करने के लिए मंत्रालय ने टीम को 8.34 करोड़ रुपये की सहायता दी थी। इसके लिए इंस्‍टीट्यूट ने मंत्रालय को प्रस्‍ताव भेजा था और इस पर गौर करने के बाद मंत्रालय ने आर्थिक सहायता दी ।

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