मुंबई के मझगांव स्थित सेशंस कोर्ट के एक जज पर एक बिजनेसमैन से रिश्वत लेने का आरोप लगा है।  Ai
उत्पीड़न/अपराध

जानिए कैसे बना मुंबई का जज मोस्ट वांटेड आरोपी ! रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया

मुंबई के मझगांव स्थित सेशंस कोर्ट के एक जज पर एक बिजनेसमैन से रिश्वत लेने का आरोप लगा है। एंटी-करप्शन ब्यूरो एसीबी ने इस मामले में FIR दर्ज की है।

Shivani Singh

हमारे लिए यह चिंतन का विषय है कि आज भी हमारे देश में ज़मीन पर कब्ज़े को लेकर विवाद होते हैं। इसमें केवल आम लोग ही शामिल नहीं होते, बल्कि मुंबई जैसे बड़े शहर का एक जज भी ऐसे मामले में फँसा पाया गया है। जो नेता देश को “न्यू इंडिया” (New India) बनाने का दावा करते हैं, क्या वास्तव में इस तरह हमारा देश नया भारत बन पाएगा? जहाँ न्याय देने के लिए नियुक्त न्यायाधीश ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जा रहे हों—यह गंभीर चिंता का विषय है। आइए समझते हैं कि इस मामले की कहानी क्या है और इसके पीछे क्या कारण जुड़े हैं।

मामला: मुंबई के मझगांव स्थित सेशंस कोर्ट का

मुंबई के मझगांव स्थित सेशंस कोर्ट के एक जज पर एक बिजनेसमैन से रिश्वत लेने का आरोप लगा है। एंटी-करप्शन ब्यूरो एसीबी ने इस मामले में FIR दर्ज की है।

इस प्रकरण में जज के क्लर्क चंद्रकांत वासुदेव (Chandrakant Vasudeo) का नाम सामने आया है, जो एडिशनल सेशंस जज एजाजुद्दीन एस. काज़ी (Aejazuddin Salauddin Kazi) के अधीन कार्य करता था। रिपोर्ट्स के अनुसार, क्लर्क ने ही बिजनेसमैन से बातचीत करते हुए कहा कि अगर वह “जज के लिए कुछ करेगा” तो फैसला उसके पक्ष में आ जाएगा। दोनों की यह बातचीत कोर्ट के वॉशरूम में हुई थी।

क्लर्क ने एसीबी (ACB) को यह भी बताया कि वह यह रिश्वत (Bribe) जज एजाजुद्दीन एस. काज़ी के लिए ले रहा था। उसके जज से अच्छे संबंध थे और वह बीते एक साल से उनके साथ काम कर रहा था, इसलिए वह इस मामले में शामिल हुआ।

इस प्रकरण में जज के क्लर्क चंद्रकांत वासुदेव का नाम सामने आया है

रिश्वत के पीछे की वजह: एक ज़मीन पर कब्ज़ा

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांद्रा में एक बिजनेसमैन की पत्नी ने आरोप लगाया था कि उनकी ज़मीन पर किसी ने कब्ज़ा कर लिया है। यह मामला 2015 में बॉम्बे हाई कोर्ट पहुँचा था। लेकिन ज़मीन की कीमत 10 लाख रुपये से कम थी, इसलिए हाई कोर्ट ने मई 2024 में इसे मझगांव (Mazgaon) स्थित सेशंस कोर्ट को भेज दिया। इसके बाद 9 सितंबर 2025 को इस केस की सुनवाई हुई।

एसीबी ने रिश्वतखोरों को पकड़ा रंगे हाथ

क्लर्क द्वारा बार-बार पैसे की मांग से परेशान होकर बिजनेसमैन ने 10 नवंबर को मुंबई एसीबी के बांद्रा ऑफिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद एसीबी ने आरोपी को रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई।

ट्रैप के दौरान क्लर्क (Clerk) को पैसे लेने के लिए बुलाया गया और जैसे ही उसने पैसे स्वीकार किए, उसे वहीं गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी (ACB) ने क्लर्क से जज को कॉल कर यह बताने को कहा कि “पैसे मिल गए हैं।” वर्तमान में क्लर्क गिरफ्तार है, जबकि जज फरार हैं। इसलिए एसीबी ने जज एजाजुद्दीन एस. काज़ी को वांटेड घोषित किया है।

ट्रैप के दौरान क्लर्क को पैसे लेने के लिए बुलाया गया और जैसे ही उसने पैसे स्वीकार किए, उसे वहीं गिरफ्तार कर लिया गया।

एंटी-करप्शन बॉडी का रोल क्या है ?

एंटी-करप्शन ब्यूरो (Anti-Corruption Bureau), जिसे राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक संगठन भी कहा जाता है, इसका मुख्य कार्य देश में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकना और उसकी जांच करना होता है। यह संस्था भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों का पता लगाती है, सबूत जुटाती है और दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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