आगामी 28 मई, 2023 के दिन राष्ट्र नवनिर्मित संसद भवन के उद्घाटन (New Parliament Building Inauguration) की प्रतीक्षा कर रहा है। 'लोक उम्मीदवार' (Lok Ummidwar) अभियान का दृढ़ विश्वास है कि नए भवन का उद्घाटन संविधान की प्रमुख होने के नाते भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) की उपस्थिति में किया जाना चाहिए। भले ही प्रधानमंत्री खुद रिबन काटना चाहते हों, लेकिन समारोह से राष्ट्रपति का बाहर होना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
इसी तरह, कुछ राजनीतिक दलों ने उद्घाटन से दूर रहने का फैसला किया है। हमारा मानना है कि लोकतंत्र में विपक्ष और सरकार को हर चीज में प्रतिस्पर्धा किए बिना, राज्य के कल्याण के लिए भागीदारी में और रचनात्मक तरीके से मिलकर काम करना चाहिए। विपक्ष के लिए सरकार के साथ रचनात्मक तरीके से जुड़ना महत्वपूर्ण है, भले ही वे सरकार की नीतियों से असहमत हों। विपक्ष और सरकार मिलकर काम करके देश की समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं और देश को सभी के लिए एक बेहतर जगह बना सकते हैं।
लोक उम्मीदवार अभियान के संयोजक डॉ. मुनीष रायज़ादा (Dr Munish Raizada) ने कहा कि भारत के लोग लोकतंत्र की बढ़ती आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए एक नए संसदीय भवन के निर्माण की आवश्यकता पर आम तौर पर सहमत है। उन्होंने कहा कि इमारत हमारे लोकतंत्र का प्रतीक और मंदिर है, लेकिन आमतौर पर संसद के गर्भगृह में जो होता है वह हम सबके लिए चिंताजनक है। हमारा लोकतंत्र इष्टतम स्तर पर क्यों काम नहीं कर रहा है, यह व्यापक मुद्दा चर्चा का विषय होना चाहिए, न कि केवल भवन या उसका उद्घाटन।
लोक उम्मीदवार अभियान का मुख्य लक्ष्यों में नोटा विकल्प को सशक्त बनाना, चुनावी बॉन्ड को समाप्त करना, एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करना, बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगाना तथा अन्य लक्ष्य शामिल है।
रायज़ादा जी ने आगे कहा कि राजनीतिक दलों ने हमारे लोकतंत्र को हाईजैक कर लिया है, राजनीतिक दल सार्वजनिक संस्थाएं हैं और इसलिए उन्हें सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत लाया जाना चाहिए। लोकतंत्र में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। हम यह भी मानते हैं कि चुनावी बॉण्ड (Electoral Bonds) काले धन की राजनीति का प्रवेश द्वार हैं, उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदे की अनुमति देते हैं, जो पारदर्शिता और जवाबदेही को कमजोर करता है।
राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की कमी ने उन्हें भाई-भतीजावाद और व्यक्तिवाद तक सीमित कर दिया है। डॉ. रायजादा ने कहा कि केवल एक नए संसदीय भवन के निर्माण से वह बदलाव नहीं आएगा।
प्रश्न यह है कि संसद में साफ़ छवि, बेदाग़ व्यक्ति कैसे पहुंचे? आज के "पार्टीबाजी" के माहौल में यह संभव नहीं लगता। आज जरूरत है कि संसद, चुनावी, राजनीतिक और अन्य सुधार लाये ताकि हमारे लोकतंत्र का स्वरुप बेहतर हो।
लोक उम्मीदवार अभियान देश में लोकतांत्रिक सुधारों के लिए प्रतिबद्ध संगठन है। इसका मुख्य लक्ष्यों में नोटा विकल्प को सशक्त बनाना, चुनावी बॉन्ड को समाप्त करना, एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करना, बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगाना तथा अन्य लक्ष्य शामिल है। यह अन्य सुधारों का भी समर्थन करता है जो हमारे लोकतंत्र को अधिक निष्पक्ष और अधिक प्रतिनिधिक बनाएंगे। पूरी जानकारी www.luindia.org पर जाकर प्राप्त करें।