Ayyalasomayajula Lalitha: भारत की पहली महिला इंजीनियर अय्यलसोमायाजुला ललिता एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थीं। (Wikimedia Commons) 
नारी सशक्तिकरण

15 साल की उम्र में हुई थी शादी, मुश्किल परिस्थितियों को झेलते हुए बन गई देश की पहली महिला इंजीनियर

ललिता की शादी के तीन साल बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई। इतनी कम उम्र में विधवा होना और 4 महीने की बेटी को संभालने के लिए उन्होंने आगे पढ़ने का फैसला किया

न्यूज़ग्राम डेस्क

Ayyalasomayajula Lalitha: एक इंजीनियर विभिन्न प्रकार के उत्पादों और प्रणालियों का मूल्यांकन कर उसका विकास, निरीक्षण और रखरखाव का पूरा ध्यान रखता है। देश में कई बच्चे इंजीनियर बनने का सपना देखते है, आज देश में कई लड़कियां भी इंजीनियर बन रही है लेकिन क्या आप जानते हैं देश की पहली महिला इंजीनियर कौन थी? आज इस लेख के माध्यम से हम आपको भारत की पहली महिला इंजीनियर के बारे में बताने वाले हैं, जो न केवल अपनी मेहनत के लिए जानी जाती है बल्कि निजी जीवन में चल रही कई परेशानियों के बावजूद भी उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की।

देश की पहली महिला इंजीनियर

भारत की पहली महिला इंजीनियर ए. ललिता हैं। उनका पूरा नाम अय्यलसोमायाजुला ललिता था। वह एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थीं। अय्यलसोमायाजुला ललिता का जन्म 27 अगस्त 1919 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता पप्पू सुब्बाराव लेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। उस दौर में औरतों को पढ़ने लिखने की आजादी कम ही थी। इन सभी सामाजिक विरोधो के बीच ए. ललिता का स्कूल जाना, पढ़ाई करना और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भविष्य बनाना हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।

महज 15 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई।ललिता की शादी के तीन साल बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई। इतनी कम उम्र में विधवा होना और 4 महीने की बेटी को संभालने के लिए आगे पढ़ने का फैसला किया और इस प्रकार परिवार के सहयोग से ललिता ने चेन्नई में इंटरमीडिएट की परीक्षा को पास किया। इस शानदार प्रदर्शन के बाद ए. ललिता एक के बाद एक तरक्की की राह पर चलती गई।

उस दौर में औरतों को पढ़ने लिखने की आजादी कम ही थी।इन सभी सामाजिक विरोधो के बीच ए. ललिता हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। (Wikimedia Commons)

ऐसे बनीं भारत की पहली इंजीनियर

इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद ए. ललिता ने मद्रास विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग करने का फैसला किया लेकिन साल 1930 के दशक के अंत तक टेक्निकल ट्रेनिंग में सिर्फ पुरुषों को दाखिला मिलता है लेकिन अपने पिता की सहायता से इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया। ललिता ने बिहार के जमालपुर में रेलवे वर्कशॉप में अप्रेंटिस की। इसके बाद शिमला के सेंट्रल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया में इंजीनियरिंग असिस्टेंट के पद पर कार्य किया।

यूके में लंदन के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स से ग्रेजुएट शिप एग्जाम भी दिया और अपने पिता के साथ रिसर्च कार्य में भी जुड़ीं। ए. ललिता कई जगहों पर काम करने के साथ भारत के सबसे बड़े भाखड़ा नांगल बांध के लिए जनरेटर प्रोजेक्ट का हिस्सा भी बनीं। यह उनके सबसे प्रसिद्ध कामों में से एक है। 1964 में पहले इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आफ वुमन इंजीनियर एंड साइंटिस्ट कार्यक्रम के आयोजन में उन्हें आमंत्रित किया गया।

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