Pulwama Air Strike: जब भारत ने लिया अपने वीरों की शहादत का बदला

 

Pulwama Air Strike(Wikimedia Commons)

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Pulwama Air Strike: जब भारत ने लिया अपने वीरों की शहादत का बदला

आतंकवादियों ने हमारे देश के सुरक्षाकर्मियों पर पीछे से हमला कर 40 वीरों को मार दिया था। 26 फरवरी(Pulwama Air Strike) के दिन रात करीब 3 बजे भारत ने इसका प्रतिवाद किया।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Vishakha Singh

न्यूज़ग्राम हिंदी: 14 फरवरी 2019 का दिन किसे नहीं याद है। इस दिन को 'ब्लैक फ्राइडे'(Black Friday) के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन आतंकवादियों ने हमारे देश के सुरक्षाकर्मियों पर पीछे से हमला कर 40 वीरों को मार दिया था। उसी साल 26 फरवरी(Pulwama Air Strike) के दिन रात करीब 3 बजे भारत ने इसका प्रतिवाद किया।

26 फरवरी 2019 को भारत के सैनिकों ने  लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC)  पार किया और  पाकिस्तान की सीमा में दाखिल होकर बालाकोट(Balakot) के जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। सरकार के मुताबिक करीब 1000 आतंकी ठिकानों पर बम गिराए गए और 300 आतंकवादियों को मार दिया गया।

पाकिस्तान(Pakistan) सरकार का कहना था कि भारत द्वारा किए गए इस हमले की उन्हें भनक नहीं थी और यह 12 दिन पहले हुए हमले का बदला था। आतंकवादियों द्वारा किए गए इस करवाने हमले में हमारे देश ने अपने 40 वीर सपूत खोए थे। पूरा देश इस हमले से और इनकी मौत से स्तब्ध था।

Pulwama Air Strike: जब भारत ने लिया अपने वीरों की शहादत का बदला

उस दिन जम्मू कश्मीर में विस्फोटकों से लदे एक जीप को जैश ए मोहम्मद के कुछ आतंकियों ने टक्कर मार दी। इस कारण वहां बड़ा धमाका हुआ और सभी जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। इस हमले के अगले ही दिन सुरक्षा पर कैबिनेट कमिटी की बैठक हुई और इस पूरी कारवाही का जिम्मा प्रधानमंत्री मोदी ने NSA के अजीत डोभवाल(Ajit Dobhval) को सौंपा। उन्होंने वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ के साथ मिलकर ब्लू प्रिंट तैयार कर एयर स्ट्राइक की तैयारी की।

पूरे हमले में सबसे बड़ा योगदान वायुसेना का था। मिराज 2000 के साथ AWACS के विमान  तैयार किया गए। साथ ही आगरा बसे और LoC के थल सेना के जवानों को अलर्ट पर रखा गया। रात तीन बजे बम बरसाने शुरू हो गए, इसी दौरान पाकिस्तान के एफ16 विमान एक्टिवेट हो गए लेकिन तब तक भारत अपना काम कर चुका था। पाकिस्तान ने इस घटना के बाद पूरे एयर स्पेस को नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया और कई महीनों तक वहां कोई भी आ जा ना सका।

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