एक महिला के साथ उसके ही पति ने मानसिक शोषण की साज़िश रची, ताकि उसे पागल साबित कर तलाक ले सके और दूसरी शादी कर सके। (Sora AI) 
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प्यार की आड़ में धोखा : जब पति ने ही रची अपनी पत्नी को पागल साबित करने की साज़िश

एक महिला (Woman) के साथ उसके ही पति ने मानसिक शोषण की साज़िश रची, ताकि उसे पागल साबित कर तलाक ले सके और दूसरी शादी कर सके। गैसलाइटिंग (Gaslighting) की शिकार बनी वह पत्नी धीरे-धीरे टूटने लगी, लेकिन साहस से उसने सच्चाई का पर्दाफाश किया और खुद को बचा लिया।

न्यूज़ग्राम डेस्क

एक हँसते-खेलते रिश्ते का अंत

यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसकी शादी प्रेम विवाह के रूप में हुई थी। दोनों पति-पत्नी इंजीनियर थे और एक खुशहाल ज़िंदगी जी रहे थे। लेकिन उस लड़की की ज़िंदगी में तूफान तब आया जब उसके पति के ऑफिस में एक नई लड़की की नियुक्ति हुई। धीरे-धीरे उस नई लड़की और पति के बीच संबंध बनने लगे। कुछ ही समय में उनका अफेयर इतना गहरा हो गया कि दोनों ने शादी करने की योजना तक बना ली। लेकिन एक अड़चन थी, लड़के की पहली शादी। वो यह बात जानता था कि समाज और परिवार कैसे प्रतिक्रिया देगा, क्योंकि यह एक लव मैरिज थी। तब दोनों ने मिलकर एक ऐसा प्लान बनाया जिसको जान कर किसी का भी रूह काँप जाए।

गैसलाइटिंग की चाल

उस लड़के की गर्लफ्रेंड ने सुझाव दिया, "क्यों न तुम्हारी पत्नी को मानसिक रूप से बीमार साबित कर दिया जाए ? अगर सबको लगेगा कि वो पागल हो चुकी है, तो घरवाले खुद ही तलाक की सलाह देंगे।" यहीं से शुरू हुआ मानसिक शोषण, जिसे गैसलाइटिंग कहा जाता है। गैसलाइटिंग (Gaslighting) एक ऐसा शोषण है जिसमें व्यक्ति को बार-बार यह एहसास दिलाया जाता है कि वो भूलने लगा है, उसकी सोच गलत है या वह बहुत ज़्यादा संवेदनशील है। धीरे-धीरे व्यक्ति अपनी ही स्मृतियों पर शक करने लगता है।

उस लड़की की हालत भी कुछ ऐसी ही होने लगी थी। वह छोटी-छोटी बातों पर घबरा जाती थी , और घर के कामों में गलती होने लगी, जिससे उसका आत्मविश्वास बिल्कुल टूट गया। जब उसने इस विषय पर मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. कशिका जैन (Psychiatrist Dr. Kashika Jain)से मुलाकात की, तो उसकी आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उस लड़की ने कहा "मैं जब खाना बनाती हूँ तो नमक ठीक डालती हूँ, फिर भी पति कहते हैं नमक ज़्यादा हो गया। कपड़े प्रेस करके रखती हूँ तो वो खुद बिगाड़ देते हैं और मुझ पर चिल्लाते हैं कि ठीक से क्यों नहीं रखा। यहां तक कि एक बार मैंने उनके शर्ट का बटन लगा दिया था, और उन्होंने मुझ पर इल्ज़ाम लगाया कि मैंने अब तक बटन लगाया क्यों नहीं।" लेकिन सच बात तो यह थी की मैंने बटन लगा दिया था और मुझे गलत साबित करने के लिए उन्होंने बटन को तोड़ दिया था।

गैसलाइटिंग की शिकार बनी वह पत्नी धीरे-धीरे टूटने लगी, लेकिन साहस से उसने सच्चाई का पर्दाफाश किया और खुद को बचा लिया। (Sora AI)

उसका आत्मविश्वास इतना गिर चुका था कि वो खुद को ही दोष देने लगी। उसने बताया कि उसे रात को नींद नहीं आती, बार-बार लगता है कि गैस खुली रह गई है, दूध जल गया है। उसे लगता जैसे वो सच में पागल हो रही है। काशिका जैन (Kashika Jain) ने जब उससे उसके पति के व्यवहार में बदलाव के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि पति अब बहुत बिजी रहने लगे हैं, उन्हें अब लोग बहुत पसंद करने लगे हैं और ऑफिस में उन्हें ज़्यादा बाहर भेजा जाने लगा है।

काशिका को शक हुआ। उन्होंने उस लड़की को सलाह दी कि वह घर में, खासकर किचन और बेडरूम में, गुप्त रूप से कैमरा ऑन कर के रखे और पति के व्यवहार को करे। उसने वैसा ही किया। उसके बाद जो वीडियो रिकॉर्ड हुआ और सामने आया, वो चौंकाने वाला था। वीडियो में साफ दिखा कि उसका पति जानबूझकर नमक या कपड़े जैसी चीजों में गड़बड़ी करता और फिर पत्नी को दोष देता। यह पूरी तरह से मानसिक शोषण था, एक सुनियोजित गैसलाइटिंग की योजना।

जब सच्चाई सामने आई, तो काशिका ने लड़की से साफ कहा कि इस वीडियो को कभी अपने पति को मत दिखाना। वह और भी बड़ा नुक़सान कर सकता है। उन्होंने लड़की को सलाह दी कि सबसे पहले अपने माता-पिता को सब कुछ बताए। लड़की डर रही थी, "मैंने तो लव मैरिज की थी, क्या कहेंगे मेरे घरवाले ?" काशिका ने स्पष्ट रूप से कहा, "अगर तुम्हें अपनी जान प्यारी है, तो घरवालों को सब बताना ही होगा।" फिर काशिका ने खुद लड़की के माता-पिता से संपर्क किया और उन्हें सच्चाई बताई। उन्होंने कहा, "अगर आप अपनी बेटी को ज़िंदा देखना चाहते हैं, तो उसे तुरंत अपने पास बुला लीजिए, क्योंकि जो इंसान ऐसा मानसिक खेल खेल सकता है, वह किसी दिन कुछ बड़ा और खतरनाक भी कर सकता है।" फिर लड़की के माता-पिता उसे तुरंत अपने साथ ले गए और उसका इलाज शुरू हुआ। उन्होंने कहा, "पहले हमारी बेटी की जान बचे, फिर तलाक की बात बाद में देखी जाएगी।"

गैसलाइटिंग एक ऐसा शोषण है जिसमें व्यक्ति को बार-बार यह एहसास दिलाया जाता है कि वो भूलने लगा है, उसकी सोच गलत है या वह बहुत ज़्यादा संवेदनशील है। धीरे-धीरे व्यक्ति अपनी ही स्मृतियों पर शक करने लगता है। (Sora AI)

निष्कर्ष

यह कहानी सिर्फ एक महिला (Woman) की नहीं है, बल्कि उन तमाम महिलाओं की है जो मानसिक शोषण से गुजरती हैं, लेकिन यह समझ ही नहीं पातीं कि उनके साथ हो क्या रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में ऐसा महसूस कर रहे हैं कि कोई आपकी याददाश्त, व्यवहार और आत्मसम्मान पर असर डाल रहा है, तो सतर्क हो जाइए। गैसलाइटिंग (Gaslighting) कोई छोटी बात नहीं है। यह एक गंभीर मानसिक शोषण है, पहचानिए, बोलिए और ज़रूरत पड़े तो मदद लीजिए। आप अकेले नहीं हैं। [Rh/PS]

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