Urchin pandemic in The Sea : इस जीव का मुख्य काम कोरल रीफ को बचाए रखना होता है। (Wikimedia Commons) 
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समुद्र में फैल रही है एक नई महामारी, वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है इसका इलाज

वैज्ञानिकों को डर है कि ये महामारी अब हिंद महासागर में भी फैल जाएगी और इससे इंसानों के जीवन पर भी गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। समुद्री अर्चिन एक तरह का जीव है जो समुद्र के नाजुक इकोसिस्टम को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह काले रंग का गोल और कांटेदार ये जीव समुद्र की गहराइयों में पाया जाता है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Urchin pandemic in The Sea : कोरोना वायरस का नाम सुनते ही आज भी लोग डर जाते हैं, न जानें कितने लोग इस महामारी के कारण अपने परिवार जन को खो बैठे। ऐसे में यदि समुद्र में कोई ऐसी बीमारी फैल जाए, जिसका इलाज वैज्ञानिकों के पास भी ना हो, तो ये बात डराने वाली है, खास तौर पर उन लोगों के लिए जिनका पूरा जीवनयापन समुद्र पर ही निर्भर है। आपको बता दें कि समुद्री अर्चिन ऐसी ही एक महामारी है, जो अब लाल सागर से आगे निकल कर हिंद महासागर में धीरे - धीरे फैल रही है। आइए जानते हैं ये समुद्री अर्चिन मनुष्यों के लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती है।

समुद्री अर्चिन एक तरह का जीव है जो समुद्र के नाजुक इकोसिस्टम को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह काले रंग का गोल और कांटेदार ये जीव समुद्र की गहराइयों में पाया जाता है। इस जीव का मुख्य काम कोरल रीफ को बचाए रखना होता है। यदि ये जीव समुद्र से पूरी तरह खत्म हो गए तो कोरल रीफ पर भी खतरा आ जाएगा और फिर ऐसे में इंसानों पर इसका बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है।

ये महामारी अब हिंद महासागर में भी फैल जाएगी और इससे इंसानों के जीवन पर भी गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। (Pixabay)

खत्म होते जा रहे हैं समुद्री अर्चिन

इजरायल के तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की करंट बायोलॉजी जर्नल में एक शोध हुआ। इसमें बताया गया है कि कैसे समुद्र एक भयानक महामारी की चपेट में है। इस महामारी का नाम है आर्चिन महामारी, जो अब लाल सागर से फैलते हुए पश्चिमी हिंद महासागर में अपने पांव पसार रही है। इस महामारी की वजह से लाल सागर में समुद्री अर्चिन लगभग खत्म हो गए हैं। वैज्ञानिकों को डर है कि ये महामारी अब हिंद महासागर में भी फैल जाएगी और इससे इंसानों के जीवन पर भी गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।

नहीं है इसका इलाज

शोधकर्ताओं के अनुसार, पहली बार ये महामारी लगभग एक साल पहले अकाबा की खाड़ी में देखी गई थी। पता लगने के दो हफ्तों के भीतर ये महामारी 70 किलोमीटर तक फैल गई। वैज्ञानिकों की मानें तो कोई अर्चिन जब इसका शिकार होता है तो कुछ ही दिनों में वह कंकाल में बदल जाता है। फिलहाल इस बीमारी से बचने का कोई तरीका नहीं है।

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