Wind Man of India : तांती को भारत में पवन ऊर्जा व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। (Wikimedia Commons) 
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कैसे बनी देश की पहली रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी? इस कंपनी के मालिक है विंड मैन ऑफ इंडिया

तांती ने इस क्षेत्र में मौजूद अपार संभावनाओं को पहले ही पहचान लिया। वो पवन उर्जा के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहते थे इसीलिए वो पुणे में रहने वाले अपने भाईयों के पास चले गए और उन्‍हें अपना बिजनेस आइडिया बताया।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Wind Man of India : साल 1994 में तुलसी तांती सुलजेर सेंथेटिक्‍स नाम का एक टेक्‍सटाइल मिल चलाते थे, यह मिल सूरत में स्थित था। इस दौर में बिजली की भारी किल्‍लत होने के कारण बिजली का कुछ ठीक नहीं था, कभी आती थी तो कभी नहीं आती थी। उपर से वह महंगी भी बहुत थी। बिजली की कमी को दूर करने के लिए सभी बिजनेसमैन जनरेटर का सहारा ले रहे थे। लेकिन तुलसी जी सबसे हटकर काम किए, उन्होंने अपनी फैक्‍ट्री की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए दो विंड टरबाइन लगा लिए। उनकी इस छोटी सी पहल के कारण ही न केवल उनकी कंपनी की इलेक्ट्रिसिटी की कमी पूरी हुई बल्कि उनको ‘विंड मैन ऑफ इंडिया’ का खिताब भी दिला दिया। आज तुलसी तांती की कंपनी सुजलॉन एनर्जी भारत की सबसे बड़ी विंड एनर्जी कंपनी है। तांती को भारत में पवन ऊर्जा व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। 1995 में तांती ने रिन्यूएबल एनर्जी की कल्पना उस वक्त की, जब इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा था। तुलसी तांती एक प्रोफेशन से इंजीनियर थे। उन्होंने कॉमर्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।

कब रखी गई सुजलॉन की नींव

1994 में अपनी टेक्‍सटाइल फैक्‍ट्री में विंड टरबाइन से बिजली पैदा करने के साथ ही तांती ने इस क्षेत्र में मौजूद अपार संभावनाओं को पहले ही पहचान लिया। वो पवन उर्जा के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहते थे इसीलिए वो पुणे में रहने वाले अपने भाईयों के पास चले गए और उन्‍हें अपना बिजनेस आइडिया बताया। इसके साथ ही वो विंड एनर्जी सर्विसेज का पूरा पैकेज कस्‍टमर को मुहैया कराना चाहते थे। भाईयों को उनका आइडिया पसंद आया और उन्‍होंने 1.5 करोड़ रुपये एकत्रित कर बिजनेस शुरू कर दिया। इस तरह साल 1995 में सुजलॉन की स्‍थापना हुई।

साल 2000 आते-आते सुजलॉन विंड टरबाइन से 100 मेगावाट बिजली उत्‍पादन करने लगी। (Wikimedia Commons)

क्‍लाइंट से लेते थे केवल 25 फीसदी पैसा

विंड टरबाइन से बिजली पैदा कराने का सेटअप स्‍थापित करने को शुरुआत में तांती केवल कुल लागत का 25 फीसदी ही क्‍लाइंट से लेते थे। बाकि 75 फीसदी का जुगाड़ वे बैंक से लोन दिलावकर करते थे। उनका यह बिजनेस मॉडल अच्‍छा था। लेकिन, एक समस्‍या थी। उस समय भारत में विंड टरबाईन जनरेटर नहीं थे। तांती ने जमर्नी की कंपनी सुडविंड एनर्जी के साथ एक ज्‍वाइंट वेंचर बनाया। इसकी सहायता से उन्‍होंने गुजरात में इंडियन पेट्रोकेमिकल्‍स के लिए सुजलॉन का पहला 0.27 मेगावाट का विंड टरबाइन जेनरेटर स्‍थापित किया। साल 2000 आते-आते सुजलॉन विंड टरबाइन से 100 मेगावाट बिजली उत्‍पादन करने लगी।

2022 में हो गया देहांत

साल 2022 में तुलसी तांती का निधन हो गया। तांती इंडियन विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और दिल्ली की टीईआरवाई यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट बोर्ड के सदस्य भी थे। उन्हें एनर्जी के क्षेत्र में ‘चैंपियन ऑफ द अर्थ’, ‘हीरो ऑफ द एनवायरनमेंट’ जैसे कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया था।

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