डेनमार्क की प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी को किया फोन इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता दोहराई। IANS
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डेनमार्क की प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी को किया फोन, भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूत करने की प्रतिबद्धता

नई दिल्ली, डेनमार्क की प्रधानमंत्री मैटे फ्रेडरिक्सन ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

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दोनों नेताओं के बीच हुई इस बातचीत में व्यापार, निवेश, नवाचार, ऊर्जा, जल प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण और सतत विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। प्रधानमंत्री मोदी ने डेनमार्क की मौजूदा यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।

इस दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों (Global Issues) पर भी विचार-विमर्श किया। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान और जल्द से जल्द शांति व स्थिरता बहाल करने के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराया।

प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र निष्कर्षण के प्रति डेनमार्क के मजबूत समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने वर्ष 2026 में भारत द्वारा आयोजित किए जाने वाले एआई इम्पैक्ट समिट की सफलता के लिए भी अपना समर्थन व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने इस बातचीत की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई। हमने अपनी हरित रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्र पूरा करने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई। यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता के लिए डेनमार्क को शुभकामनाएं दी। यूक्रेन में संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने में हमारी साझा रुचि पर भी चर्चा हुई।"

डेनमार्क के प्रधानमंत्री कार्यालय ने 'एक्स' पोस्ट में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के बाद प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन (Prime Frederickson) ने कहा कि हमने अपने संबंधों और हरित रणनीतिक साझेदारी की मजबूती की पुष्टि की। वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। मैंने सहयोग के महत्व पर जोर दिया, साथ ही यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के वैश्विक परिणामों से निपटने पर भी जोर दिया।

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