केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डेटा संरक्षण विधेयक 2022 (Data Protection Bill 2022) का मसौदा जारी किया, जिसमें उचित सुरक्षा उपाय करने में विफल रहने वाली डेटा-प्रबंधन संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। विधेयक का मसौदा केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा हितधारकों की टिप्पणियों के लिए रखा गया था।
बिल के मुख्य उद्देश्यों में से एक डिजिटल डेटा (Digital Data) को इस तरह से संसाधित करना है जो व्यक्तियों के अपने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकार और वैध उद्देश्यों और संबंधित मामलों के लिए इसे संसाधित करने की आवश्यकता दोनों को पहचानता है।
यह भारत (India) के एक डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की भी परिकल्पना करता है, जो एक डिजिटल नियामक के रूप में कार्य करेगा।
दूरसंचार मंत्रालय ने कानून के मसौदे पर सार्वजनिक राय मांगी है।
इससे पहले सरकार डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 लाई थी, जिसे राजनीतिक दलों और समाज के विभिन्न वर्गो के विरोध के बीच रद्द कर दिया गया था।
पहले का कानून 11 दिसंबर, 2018 को पेश किया गया था और फिर जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था।
दिसंबर 2021 में लोकसभा (Lok Sabha) में संसदीय पैनल की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद, बिल को 81 संशोधनों के साथ वापस कर दिया गया और इस साल अगस्त में इसे लोकसभा से रद्द कर दिया गया।
आईएएनएस/RS