Indian Railway: थोड़े बदलाव कर करोड़ों का फ़ायदा[ pixabay]
Indian Railway: थोड़े बदलाव कर करोड़ों का फ़ायदा[ pixabay] 
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Indian Railway: एक नियम क्या बदला हुआ करोड़ों का मुनाफा, क्या आप जानते है वह नियम कौन सा है?

न्यूज़ग्राम डेस्क, Sarita Prasad

Indian Railway:- कहते है की बदलाव जिंदगी के नियम है, यदि बदलाव नही होगें तो फिर नए नए आइडियाज कैसे आयेंगे? लेकिन जब थोड़े बदलाव कर करोड़ों का फ़ायदा हो जाए तो इस से बड़ी कामयाबी और क्या हो सकती है। भारतीय रेलवे ने ऐसा ही एक बदलाव कर 2022–2023 में करोड़ों रुपए कमाएं। तो लिए आपको विस्तार से बताते हैं भारतीय रेलवे के इस बदले नियम को। 

भारतीय रेल ने क्या नियम लागू किए

सबसे पहले तो आपको बता दे कि भारतीय रेल में जो कुछ भी नियम के बदलाव हुए और उससे 560 करोड रुपए का मुनाफा हुआ इन सभी का खुलासा एक आरटीआई से मिली जानकारी के तहत हुई है। आईएएनएस की खबर के मुताबिक, सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (सीआरआईएस) से मिले एक जवाब से यह पता चला है। खबर के मुताबिक भारतीय रेल इस वर्ष से अधिक मुनाफा वाला सेक्टर बन गया है। दरअसल 2016 में रेलवे ने एक नियम में बदलाव किया था, रेल मंत्रालय के तहत आने वाला सीआरआईएस टिकट और यात्रियों, माल ढुलाई सेवाओं, रेल यातायात नियंत्रण और ऑपरेशन जैसे मुख्य क्षेत्रों में आईटी सॉल्यूशन उपलब्ध कराता है।

Indian Railway:- बच्चों के लिए पूरा किराया [ pixabay]

आपको बता दें, रेल मंत्रालय ने 31 मार्च, 2016 को अनाउंस (Railways child travel rules)किया था कि वे पांच साल और 12 साल के बीच उम्र वाले बच्चों जिन्हें रिजर्व कोच में अलग बर्थ या सीट चाहिए, के लिए पूरा किराया वसूल करेगा। रेलव ने इस बदले नियम को 21 अप्रैल, 2016 से लागू कर दिया था।

पहले के नियम क्या थे? 

21 अप्रैल, 2016 से पहले भारतीय रेल (Indian Railways) पांच से 12 साल के बच्चों के लिए आधा किराया लेकर उन्हें बर्थ देता था। एक दूसरा ऑप्शन भी होता था कि अगर बच्चा अलग बर्थ न लेकर साथ यात्रा कर रहे एडल्ट के बर्थ पर ही सफर करता है, तो भी उसके लिए आधा किराया देना होगा। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में सीआरआईएस ने बच्चों की दो कैटेगरी के किराया ऑप्शन के आधार पर वित्त वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक के आंकड़े दिए हैं।

Indian Railway: 3.6 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने रिजर्व सीट या बर्थ का ऑप्शन चुने [pixabay]

बीते सात सालों में 3.6 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने रिजर्व सीट या बर्थ का ऑप्शन चुने बिना आधा किराया देकर सफर किया। दूसरी तरफ, 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अलग बर्थ या सीट लेकर पूरा किराया चुकाया। जवाब से यह भी पता चलता है कि रेलवे (Indian Railways)से यात्रा करने वाले कुल बच्चों में लगभग 70 प्रतिशत बच्चे पूरा किराया देकर बर्थ या सीट लेना पसंद करते हैं। रेलवे के इस बदलते नियम ने उन्हें तो फायदा दिलाया ही साथ ही भारत के नागरिकों को भी जागृत किया के अब गलत तरीके या झूठ बोलकर बच्चों की उम्र छुपा कर उन्हें बिना टिकट सफर नहीं कराया जा सकता। इस प्रकार के बदले नियम देश और उसके नागरिकों के लिए अत्यंत ही जरूरी होते हैं। 

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