दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त (Abhijeet Muhurta) नहीं होगा, जबकि राहुकाल दोपहर 12:15 बजे से 1:47 बजे तक रहेगा। इस समयावधि में शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
गरुड़ पुराण के अनुसार, इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों को नष्ट करता है और मृत्यु के बाद आत्मा को उच्च लोक में स्थान दिलाता है। यह व्रत पितरों को नरक से मुक्ति दिलाकर वैकुंठ लोक की प्राप्ति कराता है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
पद्म पुराण में कहा गया है कि इस व्रत को करने से कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है, जो व्रती को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।
इंदिरा एकादशी पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई सरल और प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं। एक काले कपड़े में रखकर काले तिल और दाल गाय को खिलाना पितरों को तृप्त करता है। पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर परिक्रमा करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranama Stotra) का पाठ और 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप पितरों की आत्मा को शांति देता है। इसके अतिरिक्त, जरूरतमंदों को घी, दूध, दही और चावल का दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
यह पवित्र दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से न केवल पूर्वजों को मुक्ति मिलती है, बल्कि व्रती का जीवन भी कल्याणमय बनता है।
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