कर्नाटक में लोकायुक्त पुलिस ने मंत्री के करीबी अधिकारी के ठिकानों पर छापा मारकर ₹14.38 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति का खुलासा किया।
जांच में मकान, जमीन, आभूषण, वाहन और बैंक जमा सहित बड़ी मात्रा में चल-अचल संपत्ति सामने आई।
मामले को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है, जबकि लोकायुक्त ने दस्तावेज़ों की गहन जांच शुरू कर दी है।
कर्नाटक में लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: मंत्री के करीबी अधिकारी के घर छापे, ₹14.38 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति उजागर। कर्नाटक में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए लोकायुक्त पुलिस ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह कार्रवाई बी. ज़ेड. ज़मीर अहमद खान के करीबी और उनके निजी सचिव रहे सरफराज खान के खिलाफ की गई है। लोकायुक्त की यह छापेमारी आय से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets – DA) के गंभीर आरोपों के तहत हुई। एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी मारी गई।
लोकायुक्त पुलिस ने सरफराज खान और उनसे जुड़े लोगों के करीब 13 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। इनमें उनके आवास, कार्यालय, रिश्तेदारों की संपत्तियाँ और अन्य परिसरों को शामिल किया गया। शुरुआती जांच में सामने आया कि सरफराज खान की घोषित आय के मुकाबले उनकी संपत्ति कहीं अधिक है, जिससे भ्रष्टाचार और अवैध कमाई की आशंका गहराती है। छापेमारी के दौरान लोकायुक्त पुलिस को करीब 14.38 करोड़ रुपय की आय से अधिक संपत्ति का पता चला। इसमें चार मकान और लगभग 37 एकड़ कृषि भूमि, सोने-चांदी के भारी आभूषण, महंगी गाड़ियाँ, बैंक खातों में जमा रकम और फिक्स्ड डिपॉजिट, और कई अहम दस्तावेज़ शामिल हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह संपत्ति सरफराज खान की ज्ञात आय से कई गुना अधिक है, जिसे कानूनी रूप से सही ठहराना आसान नहीं होगा।
कौन हैं सरफराज खान
सरफराज खान कर्नाटक प्रशासनिक सेवा (KAS) के अधिकारी रह चुके हैं और वे मंत्री ज़मीर अहमद खान के निजी सचिव के तौर पर तैनात रहे हैं। यही वजह है कि यह मामला केवल एक अधिकारी तक सीमित न रहकर राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील बन गया है। मंत्री की प्रतिक्रिया मामले के सामने आने के बाद मंत्री ज़मीर अहमद खान ने कहा कि उन्हें इस छापेमारी की विस्तृत जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरफराज खान एक संपन्न परिवार से आते हैं, और उनकी संपत्ति का इससे संबंध हो सकता है। हालांकि, लोकायुक्त पुलिस का कहना है कि सभी पहलुओं की वित्तीय और कानूनी जांच की जा रही है।
फिलहाल लोकायुक्त पुलिस दस्तावेज़ों, बैंक रिकॉर्ड और संपत्तियों के स्रोतों की गहन जांच कर रही है। जांच पूरी होने के बाद चार्जशीट दाखिल की जा सकती है और कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
निष्कर्ष
कर्नाटक में लोकायुक्त की यह कार्रवाई एक बार फिर दिखाती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच एजेंसियाँ सक्रिय हैं। मंत्री के करीबी अधिकारी के खिलाफ सामने आया यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि आने वाले समय में इसके राजनीतिक और कानूनी प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं।
(Rh/PO)