न्यूज़ग्राम हिंदी: आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की जा रही आबकारी नीति मामले में जमानत के लिए बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी जमानत याचिका गुरुवार को न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
31 मार्च को दिल्ली की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
राउज एवेन्यू कोर्ट के सीबीआई जज एम.के. नागपाल ने सोमवार को सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक बढ़ा दी थी।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने सिसोदिया की हिरासत बढ़ाने की मांग की थी, क्योंकि जांच महत्वपूर्ण चरण में है।
न्यायाधीश नागपाल ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया सिसोदिया को 'आपराधिक साजिश रचने वाला' माना जा सकता है।
उन्होंने पाया कि लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत का भुगतान उनके और आप सरकार में उनके अन्य सहयोगियों के लिए था।
अदालत ने कहा, "लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत का भुगतान उनके और उनके जीएनसीटीडी के अन्य सहयोगियों के लिए था और उपरोक्त में से 20-30 करोड़ रुपये सह-आरोपी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और अनुमोदक दिनेश अरोड़ा के माध्यम से दिए गए पाए गए हैं। बदले में आबकारी नीति के कुछ प्रावधानों को 'साउथ लॉबी' के हितों की रक्षा और संरक्षण के लिए और उक्त लॉबी को किकबैक का पुनर्भुगतान सुनिश्चित करने के लिए आवेदक द्वारा छेड़छाड़ और हेरफेर करने की अनुमति दी गई थी।"
अदालत ने कहा, "इस प्रकार, अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों और उनके समर्थन में अब तक एकत्र किए गए सबूतों के अनुसार, आवेदक को प्रथम दृष्टया उक्त आपराधिक साजिश का सूत्रधार माना जा सकता है।"
इसने माना कि सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए आरोप 'गंभीर प्रकृति के' हैं और वह जमानत पर रिहा होने के लायक नहीं हैं, क्योंकि उन्हें 26 फरवरी को ही सीबीआई मामले में गिरफ्तार किया गया था और उनकी भूमिका की जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है।
--आईएएनएस/VS