'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस'(professor of practice) योजना के अंतर्गत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 4400 से अधिक इंडस्ट्री एक्सपर्ट और प्रोफेशनल लोगों ने कॉलेज छात्रों को पढ़ाने और प्रोफेसर बनने के लिए आवेदन किया है। (संकेतिक चित्र,
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'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस'(professor of practice) योजना के अंतर्गत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 4400 से अधिक इंडस्ट्री एक्सपर्ट और प्रोफेशनल लोगों ने कॉलेज छात्रों को पढ़ाने और प्रोफेसर बनने के लिए आवेदन किया है। (संकेतिक चित्र, Wikimedia Commons)  
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4000 से अधिक विशेषज्ञ 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' के तहत छात्रों को पढ़ाने के इच्छुक

न्यूज़ग्राम डेस्क

नई दिल्ली(New Delhi), 4 जुलाई (आईएएनएस)। 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस'(professor of practice) योजना के अंतर्गत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 4400 से अधिक इंडस्ट्री एक्सपर्ट और प्रोफेशनल लोगों ने कॉलेज छात्रों को पढ़ाने और प्रोफेसर बनने के लिए आवेदन किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के मुताबिक देशभर के करीब 142 उच्च शिक्षा संस्थानों में ऐसे आवेदन आए हैं।

इन विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों ने अलग-अलग फील्ड के विशेषज्ञों को बतौर प्रोफेसर अपने संस्थानों में शामिल करने की इच्छा दिखाई है। विज्ञान, कानून, पर्यावरण, उद्योग, इंजीनियरिंग, इंडस्ट्री, मीडिया, जलवायु, संगीत, कला, समेत विभिन्न पेशों से जुड़े अनुभवी पेशेवरों को शिक्षा से जोड़ने के लिए इस वर्ष मई में 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस'(professor of practice) पंजीकरण पोर्टल शुरू किया गया है। अपने कार्य क्षेत्रों में महारत रखने वाले अनुभवी प्रोफेशनल इस पोर्टल के माध्यम से स्वयं को शिक्षण के लिए पंजीकृत करा सकते हैं।

यूजीसी(UGC) अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने बताया कि 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस'(professor of practice)योजना देश में सराही जा रही है। (संकेतिक चित्र, Wikimedia Commons)


'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' वह लोग होंगे, जो प्रारंभिक व्यवसाय से शिक्षक नहीं हैं और न ही उन्होंने शिक्षण के लिए पीएचडी की है। बावजूद इसके उनके उच्च प्रोफेशनल(professional) अनुभव के आधार पर उन्हें कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है। यह 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' छात्रों को वह विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है। यूजीसी सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआईएस) को 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' की नियुक्ति के नियमों के संबंध में एक पत्र लिख चुका है। पत्र में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने संस्थानों में 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' की नियुक्ति को सक्षम करने के लिए अपने कानूनों, अध्यादेशों, नियमों व विनियमों में आवश्यक परिवर्तन करें।

यूजीसी(UGC) के अनुरोध करने पर इस मामले में की गई कार्रवाई को विभिन्न विश्वविद्यालय अपनी गतिविधि निगरानी पोर्टल पर साझा भी कर रहे हैं। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को लागू करते हुए बीते वर्ष अगस्त में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' योजना की प्रक्रिया शुरु की थी। इस वर्ष मई में इसके लिए पोर्टल शुरू किया गया है।

यूजीसी(UGC) अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने बताया कि 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' योजना देश में सराही जा रही है। कई विश्वविद्यालय 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' की नियुक्ति कर रहे हैं। यह विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों को प्रशिक्षित करने का अवसर है।

हालांकि, इस योजना के तहत विभिन्न कार्य क्षेत्रों से आने वाले प्रोफेशनल को कम से कम 15 वर्षों का अनुभव होना चाहिए। ऐसे पेशेवर विशेषज्ञों को शिक्षक के रूप में नियुक्त करने व सक्षम बनाने के लिए यूजीसी ने 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' नामक यह पद सृजित किया है। 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' को नियुक्त करने के लिए दिशानिर्देश भी प्रकाशित कर दिए गए हैं। पत्र में विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वह 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' को लागू करने के लिए अपने संस्थानों के प्रावधानों में आवश्यक परिवर्तन करें। (IANS/AK)

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