मॉनसून सत्र का पहला सप्ताह बीत गया। एक तरफ जहां विपक्ष GST और महंगाई के मुद्दे पर अपने विरोध करती रही, जबकि दूसरी तरफ सरकार विपक्ष द्वारा विरोध किए जाने वाले मुद्दे पर नरम होने के मूड में नजर नहीं आई है।
कांग्रेस के पूर्व नेता और निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने सदन में कामकाज के संचालन के लिए प्रक्रिया के नियमों को बदलने की सलाह देते हुए कहा, "विपक्ष जिस भी मामले पर चर्चा करना चाहता है, उसके लिए हमारे पास सप्ताह का एक दिन होना चाहिए। सरकार को इसका कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। वीटो और बिना चर्चा के कोई कानून पारित नहीं होना चाहिए। इस पर विपक्ष को सहयोग करना चाहिए।"
लेकिन चीजें इतनी आसान नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर विपक्षी नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग से परेशान हैं।
कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है, पार्टी के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा, "मोदी सरकार द्वारा खाद्य पदार्थो पर मूल्य वृद्धि और GST के तत्काल मुद्दों पर बहस करने से इनकार करना एक समस्या है।"
अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को ED द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले के सिलसिले में मंगलवार को फिर से तलब किए जाने से कांग्रेस नाराज है। इस कड़ी में समर्थकों ने अपने पार्टी प्रमुख के उत्पीड़न को लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन किया।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा था, "विपक्षी दलों को प्रश्नकाल में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे बहस में भाग नहीं लेना चाहते हैं और किसी भी विधेयक को पारित करने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखते हैं। सदन, वे संसद के माननीय सदस्यों के अधिकार छीन रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि गतिरोध जल्द खत्म नहीं होने वाला। सरकार ने विधेयकों पर जोर देना शुरू कर दिया है और शुक्रवार को एक विधेयक पारित किया, जिसे लोकसभा में पहले दिन से सूचीबद्ध किया गया था।
खाद्य उत्पादों, होटल आवास और अस्पताल के बिस्तर जैसी बुनियादी वस्तुओं पर लगाया गया जीएसटी मौजूदा गतिरोध का मुख्य कारण है।
प्रिंटिंग, राइटिंग या ड्रॉइंग इंक, कटिंग ब्लेड वाले चाकू, चम्मच, कांटे, पेपर चाकू, पेंसिल शॉर्पनर और LID लैंप जैसे उत्पादों पर टैक्स की दरों को 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया है।
5,000 रुपये प्रतिदिन की दर से ऊपर के अस्पताल के कमरों पर भी पांच प्रतिशत GST लगेगा, हालांकि ICU बेड में छूट दी गई है।
(आईएएनएस/AV)