Article 371 : इस बार लोकसभा चुनाव में एक नया मुद्दा उठ रहा है। राजस्थान में एक चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे गलती से अनुच्छेद 370 की जगह अनुच्छेद 371 का जिक्र कर दिए। चुनावी माहौल में उनका अनुच्छेद 371 का जिक्र करना एक नया राजनीतिक मुद्दा बन गया। अब कांग्रेस और केंद्र सरकार भारतीय जनता पार्टी के बीच नया बखेड़ा खड़ा हो गया। गृह मंत्री अमित शाह ने एक चुनावी रैली में अनुच्छेद 370 का उल्लेख के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के लिए कांग्रेस प्रमुख पर हमला किया। शाह ने कहा कि कांग्रेस से ऐसी भयानक गलतियां करने की ही अपेक्षा की जा सकती है। इसके द्वारा की गई ऐसी गलतियां हमारे देश को दशकों से परेशान कर रही हैं।
अमित शाह के कथन पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,“ मोदी वास्तव में नागालैंड से संबंधित अनुच्छेद 371-ए, असम से संबंधित अनुच्छेद 371-बी, मणिपुर से संबंधित अनुच्छेद 371-सी, सिक्किम से संबंधित अनुच्छेद 371-एफ और मिजोरम से संबंधित अनुच्छेद 371-जी को बदलना चाहते हैं।” ये दोनों पार्टियां अभी एक दूसरे के विरुद्ध इसी मुद्दे पर भिड़े हुए हैं, तो आइए जानते हैं अनुच्छेद 371 में आखिर क्या कहा गया है।
अनुच्छेद 371 और इसके क्लॉज विशिष्ट राज्यों को विशेष प्रावधान प्रदान करते हैं, जो अक्सर कुछ धार्मिक और सामाजिक समूहों को प्रतिनिधित्व देने के लिए और इन समूहों को राज्य और केंद्र सरकारों के हस्तक्षेप के बिना अपने मामलों पर स्वायत्तता का प्रयोग करने की अनुमति देते हैं। संविधान के भाग 21 में बनाए गए अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधानों में अनुच्छेद 371 भी शामिल है। इसमें शामिल 371, 371 ए, 371 बी, 371 सी, 371 डी, 371 ई, 371एफ, 371 जी, 371 एच, 371 आई और 371 जे शामिल हैं।
संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत 12 राज्य हैं जिन्हें विशेष शक्तियां प्राप्त हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड और सिक्किम शामिल हैं। केंद्र ने यह सुझाव दिया है कि वह अनुच्छेद 371 जैसी सुरक्षा को लद्दाख तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इस अनुच्छेद के तहत विशेष प्रावधानों में भूमि के स्वामित्व की सुरक्षा से लेकर विकास बोर्डों की स्थापना तक शामिल हैं।