भारतीय सर्वोच्च न्यायालय  Wikimedia Commons
राष्ट्रीय

Sedition law: सुप्रीम कोर्ट ने जिस धारा पर लगाया रोक, कभी उस पर दर्ज हुए है हजारो केस

भारत के सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस (Sedition law) कानून के तहत कोई नई FIR दर्ज नहीं होनी चाहिए।

Lakshya Gupta

न्यूज़ग्राम हिंदी: हाल ही में देश की सर्वोच अदालत ने देशभर में राजद्रोह ( Sedition law ) के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी। यह रोक तब तक है जब तक कोई उचित सरकारी मंच इसका पुन: परीक्षण नहीं कर लेता है।

अदालत ने निर्देश दिया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस कानून के तहत कोई नई FIR दर्ज नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह ( Sedition law ) संबंधी कानून के तहत चल रही जांचों, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाहियों पर भी रोक लगा दिया है।

देश की शीर्ष अदालत ने मामले को जुलाई के तीसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि उसके सभी निर्देश तब तक लागू रहेंगे। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी. रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि देश में नागरिक स्वतंत्रता के हितों और नागरिकों के हितों को राज्य के हितों के साथ संतुलित करने की जरूरत है।

आपको बता दे, इसे देश की स्वतंत्रता के 57 साल पहले तथा आईपीसी बनने के लगभग 30 साल बाद, 1890 में भारतीय दंड संहिता में शामिल किया गया था। राजद्रोह में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के तहत अधिकतम सजा उम्रकैद का प्रावधान है।

जब 9 हजार लोगों पर दर्ज हुआ केस

तमिलनाडु में एस जयललिता की सरकार ने कुंडनकुलम में साल 2000 में महत्वाकांक्षी परियोजना न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की शुरुआत की। लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध किया। अगस्त 2011 यह विरोध काफी उग्र भी हो गया। राज्य सरकार ने इसे दबाने के लिए प्रदर्शनकारियों पर राजद्रोह के मामले लगाने शुरू कर दिए। कुंडनकुलम में 2011 से लेकर 2013 के बीच करीब 9 हजार लोगों पर राजद्रोह का केस लगा दिया गया।

आदिवासी समाज पर थोपा गया राजद्रोह

झारखंड के एक जिले में आदिवासी समाज के 11 हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए। मीडिया रिपोर्ट की माने तो आदिवासी समाज के लोग जमीनी अधिकार को लेकर आंदोलन कर रहे थे और धीरे-धीरे ये आंदोलन हिंसक होता चला गया, जिसके बाद पुलिस ने हजारों लोगों के खिलाफ राजद्रोह के कई मामले दर्ज किए।

इसके अलावा राजद्रोह के कई मामले बेहद सुर्खियों मे रहे है। उनमे जेएनयू के छात्र नेता रहे कन्हैया कुमार के खिलाफ भारत विरोधी नारे लगाने पर एवं देश विरोधी भाषण देने के आरोप में वर्ष 2010 में अरुंधुती राय, हुर्रियत नेता सैय्यद गिलानी सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।

पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल सहित पांच लोगों के खिलाफ भी राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज हो चुका है। साथ ही साथ हाल फिलहाल में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध करने और मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पाठ करने को लेकर सांसद नवनीत राणा व विधायक पति रवि राणा के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने राजद्रोह धारा के तहत केस दर्ज किया।

डॉ. मुनीश रायज़ादा ने बिजली के बढ़े हुए बिलों के मुद्दे को हल करने में विफल रहने के लिए आप सरकार की आलोचना की

भारतीय लिबरल पार्टी (बीएलपी) दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सभी 70 विधानसभाओं पर चुनाव लड़ेगी

कभी रहे खास मित्र, अब लड़ रहे केजरीवाल के खिलाफ चुनाव। कौन हैं मुनीश रायज़ादा?

नई दिल्ली विधानसभा (AC - 40) से केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे डा मुनीश रायज़ादा

भारतीय लिबरल पार्टी (बीएलपी) के अध्यक्ष डॉ. मुनीश रायज़ादा ने शहर में प्रदूषण के मुद्दे को हल करने में विफलता के लिए आप सरकार को ठहराया जिम्मेदार।