<div class="paragraphs"><p>Shaheed Diwas: हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं (WIKIMEDIA)</p></div>

Shaheed Diwas: हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं (WIKIMEDIA)

 

शहीद दिवस

राष्ट्रीय

Shaheed Diwas: हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

न्यूजग्राम हिंदी: यदि भारत (India) के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को याद किया जाता है तो उसमें सुखदेव (Sukhdev), राजगुरु (Rajguru) और शहीद ए आजम भगत सिंह (Bhagat Singh) का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। क्योंकि वह अपनी आखिरी सांस तक आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते रहे। 23 मार्च को शहीद दिवस (Shaheed Diwas) के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर झूले थे। तीनों ने फांसी के तख्ते पर चढ़कर फंदे को चूमा और बेहद हर्ष के साथ अपने गले में डाल दिया तो जेल के वॉर्डन में यह कहा कि यह युवक पागल है और इनके दिमाग बिगड़े हुए हैं।

उस वक्त सुखदेव के द्वारा यह गीत सुनाया गया: इन बिगड़े दिमाग में घनी खुशबू के लच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे हैं।

यह तीनों क्रांतिकारी अद्भुत क्रांतिकारी विचारधारा का पालन करते थे। यही कारण है कि फांसी पर चढ़ने के कुछ वक्त पहले भी भगत सिंह द्वारा एक मार्क्सवादी पुस्तक पढ़ी जा रही थी, सुखदेव कुछ गीत गा रहे और राजगुरु वेद और मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे।

इन तीनों की मित्रता इतनी मजबूत होने का एक कारण इन दिनों की समान विचारधारा भी थी। इन तीनों द्वारा साइमन कमीशन का विरोध किया गया। उस वक्त पुलिस के व्यवहार के कारण लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए जिनका बाद में देहांत हो गया था। जिसका बदला लेने के लिए इन तीनों मित्रों ने योजना बनाई और 17 दिसंबर 1928 को पुलिस अधीक्षक सांडर्स को गोली मार दी।

PT

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